भीलवाड़ा–राजसमंद–चित्तौड़गढ़ को दरकिनार कर बनी बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष की नई टीम, जातिगत और क्षेत्रीय संतुलन का दावा कमजोर साबित

Update: 2025-11-27 18:28 GMT


बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ की नई टीम भले ही जातिगत और क्षेत्रीय संतुलन के दावे के साथ जारी हुई हो, लेकिन संगठन के कई प्रमुख जिलों—विशेषकर भीलवाड़ा, राजसमंद और चित्तौड़गढ़—को इसमें पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया है। इन तीनों जिलों से एक भी नेता को स्थान नहीं मिला, जिससे क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं में नाराजगी का माहौल है।

नई कार्यकारिणी में सामान्य वर्ग यानी ब्राह्मण, वैश्य और राजपूत समुदाय के नेताओं को प्रमुख भूमिका दी गई है। साथ ही पंचायत और निकाय चुनावों को ध्यान में रखते हुए ओबीसी और मूल ओबीसी वर्ग को तरजीह दी गई है। हालांकि एससी-एसटी वर्ग का प्रतिनिधित्व काफी कम है, जिसे लेकर सामाजिक संतुलन पर सवाल उठ रहे हैं।

महिलाओं को भी सीमित लेकिन प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व दिया गया है। टीम में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के कोटे से सर्वाधिक नेता शामिल हुए हैं। इसके अलावा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और केंद्रीय मंत्रियों के कोटे से भी कई नाम जोड़े गए हैं।

**कार्यकारिणी में सीएम के जिले को भी जगह नहीं**

बीजेपी की संगठनात्मक संरचना के 44 जिलों में से नई टीम में सिर्फ 18 जिलों को ही प्रतिनिधित्व मिला है। आश्चर्यजनक रूप से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के गृह जिले भरतपुर से भी किसी नेता को जगह नहीं दी गई।

जयपुर और जयपुर देहात से सर्वाधिक 13 नेताओं को कार्यकारिणी में शामिल किया गया है। इसके बाद बीकानेर से 4, हनुमानगढ़ और अजमेर से 2-2, जबकि चूरू, नागौर, सिरोही, सवाई माधोपुर, सीकर, झुंझुनूं, पाली, कोटा, बांसवाड़ा, दौसा और उदयपुर से 1-1 नेता शामिल हैं।

भीलवाड़ा, राजसमंद और चित्तौड़गढ़ जैसे प्रभावशाली जिलों की अनदेखी को लेकर अब पार्टी के अंदर ही चर्चा शुरू हो गई है कि क्या संगठन इन क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने को लेकर गंभीर है या फिर यह सीटों पर मौजूदा समीकरणों का परिणाम है।

 

Similar News