राजकीय विद्यालयों में रिक्त पदों का संकट, उपचारात्मक शिक्षण केवल पीएमश्री स्कूलों तक सीमित
प्रदेश के राजकीय विद्यालय लंबे समय से रिक्त पदों की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं, लेकिन शैक्षिक गुणवत्ता सुधारने के लिए बनाई गई उपचारात्मक शिक्षण व्यवस्था अभी भी केवल पीएमश्री विद्यालयों तक ही सीमित है। प्रदेश के हजारों अन्य सरकारी स्कूलों में छात्रों के शैक्षिक स्तर को सुधारने की कोई ठोस योजना अब तक सामने नहीं आई है। इसी बीच अर्द्ध वार्षिक परीक्षाओं, बोर्ड परीक्षाओं और वार्षिक मूल्यांकन का दबाव तेजी से बढ़ रहा है, जबकि नया शैक्षणिक सत्र एक अप्रैल से शुरू होना है।
प्रदेश के छह सौ उनतालीस पीएमश्री विद्यालयों में बाहरी प्रशिक्षित व्यक्तियों की मदद से उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था की गई है। आदेश के अनुसार कक्षा छह से दस के लिए दो सौ रुपए प्रति घंटा प्रति विषय तथा कक्षा ग्यारह बारह के लिए तीन सौ रुपए प्रति घंटा प्रति विषय मानदेय तय किया गया है। यहां कक्षा छह से दस तक सभी विषयों में और कक्षा ग्यारह बारह में प्रति संकाय अधिकतम तीन विषयों में उपचारात्मक शिक्षण कराया जाएगा। शिक्षण शुरू करने से पहले पूर्व आकलन और अंत में पश्चात आकलन अनिवार्य रखा गया है।
हालांकि जिन पीएमश्री विद्यालयों में कक्षा छह से बारह तक सभी शिक्षक पद भरे हुए हैं, वहां भी प्राप्त बजट से विद्यालय समय से पहले या बाद में अतिरिक्त कक्षाएं लेनी होंगी। इन सभी प्रावधानों के बीच बड़ा प्रश्न यह है कि प्रदेश के अन्य सरकारी विद्यालयों में छात्रों के शैक्षिक स्तर सुधारने के लिए सरकार के पास आखिर कब ठोस कार्ययोजना तैयार होगी।