भीलवाड़ा में सुहागिन महिलाओं ने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि की कामना केसाथ मनाया कजरी तीज का पर्व धूमधाम से
भीलवाड़ा विजय । जिले में मंगलवार को कजरी तीज का पावन पर्व महिलाओं ने पारंपरिक उत्साह और सजधज के साथ मनाया। हरियाली तीज के बाद आने वाली यह तीज विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखती है।
सुहागिन महिलाओं ने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की खुशहाली और अखंड सौभाग्य के लिए पूरे दिन बिना खाए-पिए व्रत रखा और शाम को महिलाएं सजधजकर घरों से निकलीं और मंदिरों व घरों की छतों पर समूह में पूजा-अर्चना कर चांद के दर्शन किए तथा व्रत कथा सुनी।धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की श्रद्धापूर्वक पूजा करने से दांपत्य जीवन में सौभाग्य और अटूट प्रेम बना रहता है।
व्रत कथा का महत्व
प्राचीन काल में एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी ने कजरी तीज का व्रत रखा और अपने पति से सत्तू लाने को कहा। ब्राह्मण के पास पैसे नहीं थे, इसलिए उसने चोरी करने का फैसला किया। वह एक दुकान में घुस गया और सत्तू बनाने के लिए चने, घी और शक्कर ले जाने लगा। तभी दुकान के नौकर जाग गए और शोर मचाने लगे। साहूकार ने ब्राह्मण को पकड़ लिया। ब्राह्मण ने अपनी मजबूरी बताई कि उसकी पत्नी ने कजरी तीज का व्रत रखा है और उसे सत्तू चाहिए। साहूकार ने ब्राह्मण की तलाशी ली तो उसके पास सत्तू के अलावा कुछ नहीं मिला। साहूकार ने ब्राह्मण को अपनी बहन मान लिया और उसे सत्तू, गहने, पैसे और मेहंदी देकर विदा किया।
ब्राह्मण घर लौटा और अपनी पत्नी को सारी बात बताई। दोनों ने मिलकर कजली माता की पूजा की और सत्तू का भोग लगाया। माता की कृपा से उनके दिन फिर गए। मान्यता है कि जो भी सुहागिन महिला इस व्रत को सच्चे मन से करती है, उसे अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।

