बीगोद में आस्था का महाकुंभ, श्री गोपालजी मंदिर का जीर्णोद्धार व प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न
भीलवाड़ा-मूलचन्द पेसवानी |भीलवाड़ा जिले के बीगोद कस्बे में आस्था और आध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिला, जब लंबे समय से चल रहे श्री गोपालजी महाराज मंदिर के जीर्णोद्धार (नव निर्माण) उपरांत भव्य प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव धूमधाम से सम्पन्न हुआ। यह संपूर्ण आयोजन बजरंगलाल मथुरादास वैष्णव के द्वारा अभिजीत मुहूर्त में सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
महोत्सव की शुरुआत अत्यंत मनोहारी जल कलश यात्रा के साथ हुई। सैकड़ों महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में मंगल गीत गाते हुए पवित्र जल के कलश सिर पर धारण कर नगर परिक्रमा निकाली। पूरे बीगोद में आस्था का ऐसा उमंगभरा वातावरण बना कि हर सड़क भक्ति के रंग में रंगी नजर आई।
नव-निर्मित बेवाण में सुशोभित श्री गोपालजी महाराज का विग्रह पूरे समारोह का केंद्र बिंदु बना। शोभा यात्रा में शामिल भक्तों की उमंग और श्रद्धा देखते ही बनती थी। यात्रा जब मंदिर परिसर पहुंची, तो जय-श्रीकृष्ण और गोपालजी महाराज के जयकारों से पूरा इलाका गूंज उठा।
शुभ मुहूर्त में वेदपाठी आचार्यों के मंत्रोच्चारण के बीच श्री विग्रहों का सहस्त्रधारा अभिषेक किया गया। वैदिक विधानों के अनुसार सम्पन्न हुई नव-प्राण प्रतिष्ठा ने वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। भक्तों ने इस पावन दृश्य का साक्षात्कार कर स्वयं को धन्य महसूस किया।
मंदिर के शिखर पर स्वर्ण कलश की स्थापना इस दो दिवसीय पर्व का सबसे पवित्र और ऐतिहासिक क्षण साबित हुआ। जैसे ही स्वर्ण कलश स्थापित हुआ, वैसे ही पूरा परिसर उत्साह और उमंग के नारों से गूंज उठा। यह पल न केवल मंदिर प्रांगण के लिए, बल्कि समस्त बीगोद के लिए गौरव का विषय बन गया।
पूरे अनुष्ठान में शाहपुरा खान्या स्थित बालाजी मंदिर के महंत श्री रामदास त्यागी महात्मा तथा त्रिवेणी धाम के श्री नरोतमदास त्यागी महात्मा का विशेष सान्निध्य प्राप्त हुआ। दोनों संतों ने अपने आशीर्वचन में समाज को एकता, भक्ति, सेवा और सद्भाव का संदेश दिया। उनके वचनों ने श्रद्धालुओं में नई ऊर्जा और भक्ति भाव का संचार किया।
जीर्णोद्धार एवं प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के साथ आयोजित द्वि-दिवसीय विष्णुयाग महोत्सव की पूर्णाहुति वैदिक विधियों के साथ सम्पन्न हुई। विशाल महाप्रसाद (भंडारा) का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण कर पुण्य लाभ लिया। सेवा भावना से ओतप्रोत इस आयोजन ने सामुदायिक सद्भाव को और प्रगाढ़ किया।
श्री गोपालजी मंदिर के भव्य जीर्णोद्धार, पुनः मूर्ति स्थापना, शिखरोपरी स्वर्ण कलश प्रतिष्ठा और विष्णुयाग महोत्सवकृइन सभी ने मिलकर बीगोद में ऐसा आध्यात्मिक उत्सव रचा, जिसे आने वाली पीढ़ियाँ भी गर्व से याद करेंगी। भक्तों के सहयोग, समिति की समर्पित भावना और आयोजकों के प्रयासों ने इस ऐतिहासिक क्षण को और भी उज्ज्वल बना दिया। मंदिर का नव रूप अपने पूरे वैभव के साथ अब भक्तों के लिए खुल चुका है। यह केवल जीर्णोद्धार नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और आध्यात्म का पुनर्जागरण है।
