भीलवाड़ा कृषि विभाग के तत्वाधान में कपास की फसल पर कृषक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन बालाजी मन्दिर परिसर गंगापुर में किया गया जिसमें कपास फसल की तकनीकी जानकारी दी गई।
कृषि पर्यवेक्षक शिशपाल गुर्जर ने बताया कि प्रशिक्षण शिविर में कृषि विभाग के सहायक निदेशक डा. धीरेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि
कपास खेती कार्यक्रम के उद्देश्यों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कपास व्यवसायिक फसल है, जिसकी खेती कर अपना जीवन स्तर सुधार सकते है, कपास के पृथक भंडारण के लाभ, मिट्टी में कार्बन की मात्रा बढ़ाने हेतु कार्यों, अत्यन्त विषैले कीटनाशकों के दुष्परिणामों के बारे में बताया , कीटनाशकों के छिड़काव करते समय सुरक्षात्मक आवरण पहनने के फायदों और रेशे की गुणवत्ता में सुधार हेतु कपास की चुनाई, संग्रहण, भंडारण और परिवहन में रखी जाने वाली सावधानियों पर विस्तृत चर्चा की गई ।
कृषि अधिकारी कजोड़ मल गुर्जर ने किसानों को कपास की खेती के लिए तकनीकी व्याख्यान देते हुए कपास में लगने वाले प्रमुख प्रमुख कीट, लक्षण एवं उनके निरावरण की जानकारी दी।कृषि अनुसंधान अधिकारी जीतराम चौधरी ने कहा की पौधो में लगने वाले कीट एवं व्याधि के नियन्त्रण हेतु एग्री क्लिनिक की स्थापना जिला स्तर पर की गई है जहां से कृषकों को फसलों में लगने वाले रोग के निराकरण में सहायता मिलेगी।
सहायक कृषि अधिकारी विनोद माणम्या ने कृषकों को कपास की स्थानीय क्षेत्र में स्थानीय किस्मों की जानकारी दी।
