आत्म शांति और विश्व शांति की मूलभूत आधारशिला अहिंसा से जुड़े एवं तमाम समस्याओं से मुक्ति पाए-जिनेन्द्रमुनि मसा

By :  vijay
Update: 2024-09-18 12:00 GMT

गोगुन्दा  अहिंसा का महत्व असंदिग्ध है।अहिंसा को अपनाने में जीवन मे समग्रता आती है और उसमें दिव्यता का समावेश होता है।अहिंसा जीवन की महक है।अहिंसा में अपूर्वता है।अंश अंश अहिंसा की सम्पूर्ति से एक समय सम्पूर्णता की स्थिति आ जाती है।यह निर्विवाद सत्य है कि धर्म के बिना जीवन व्यर्थ है और सबसे बड़ी बात यह है कि यदि अहिंसा नही है तो धर्म भी नही है।दूसरे शब्दों में धर्म का अस्तित्व अहिंसा में टिका है।अहिंसा जीवन जगत का प्राणतत्व है।उपरोक्त विचार श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावकसंघ संघ के तत्वावधान में आयोजित सभा मे जिनेन्द्रमुनि मसा ने व्यक्त किये।मुनि ने कहा कि अहिंसा के अभाव में जीवन और जगत की कल्पना ही नही की जा सकती है।अहिंसा नही तो समाज मानव और मानवता का सारा तंत्र ही गड़बड़ा जाता है।जैन संत ने कहा जो अहिंसा से जुड़ा है,वह धर्म को पा लेता है।भगवान महावीर ने उसी धर्म को धर्म कहा है,जिसमे अहिंसा संयम और तप का समावेश है।अहिंसा है तो संयम और तप भी है।यदि अहिंसा नही है तो संयम और तप की साधना आराधना संभव नही है।साधु के पांच महाव्रत में प्रथम महाव्रत अहिंसा का है।मुनि ने कहा जिस महाभारत में इतनी मारकूट हुई ,वहाँ शांति पर्व में पितामह ने अहिंसा परमो धर्म का उदघोष किया।मुनि ने दुःख मन से कहा विश्वभर में आज जो स्थितियां निर्मित हुई है,वे मूलभाव की उपेक्षा के कारण है।आज जिस तरह हिंसा को गौरव दिया जा रहा है।वह हमारी संस्कृति पर कुठाराघात है। जो यह मान रहे है कि विश्व की समस्या का निदान ही हिंसा में है,वे भूल कर रहे है।खून का सना कपड़ा कभी खून से साफ नही हो सकता।प्रवीण मुनि ने कहा धर्म के प्रति अनास्था के भाव बढ़ते जा रहे है।इंसान ने भौतिक क्षेत्र में बहुत प्रगति की है,लेकिन अध्यात्म के अभाव में भौतिक प्रगति के मन मे भय की अत्यधिक वृद्धि करके मानव जीवन को नरक बना दिया है।रितेशमुनि ने कहा कि आज चारो और ईर्ष्या का अभाव है।मनुष्य को मनुष्य पर ही विश्वास नही है।धर्म के नाम पर ईर्ष्या द्वेष और कलह का वातावरण बनाया जा रहा है।धर्म मे इन बातों का कोई भी स्थान नही है।प्रभातमुनि ने कहा कि इस संसार मे सभी को जीने का अधिकार है।आज का इंसान कल का स्मरण करके वर्तमान को बनाने की चेष्ठा करेगा?भूल पर भूल करना मनुष्य को शोभा नही देता है।संतो के दर्शन के लिए सूरत से श्रद्धालुओं का आगमन हुआ।

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