आज की प्रमुख आवश्यकता प्राकृतिक खेती - डॉ. यादव

By :  vijay
Update: 2025-03-03 12:48 GMT

भीलवाड़ा अनुसंधान निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा प्रायोजित एवं राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र भीलवाड़ा द्वारा माण्ड़ पंचायत समिति के गाँव भगवानपुरा में एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण का आयोजन दक्षिणी राजस्थान में प्राकृतिक खेती का सार्वजनिकरण एवं प्रक्षेत्र अनुसंधान विषय पर किया गया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. सी. एम. यादव ने बताया कि आज की प्रमुख आवश्यकता प्राकृतिक खेती है। डॉ. यादव ने प्राकृतिक खेती के महत्त्व पर चर्चा करते हुए बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र भीलवाड़ा द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने एवं जिले के किसानों में प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूकता लाने के लिए निरन्तर प्रयास किए जा रहे है। जिले में प्राकृतिक खेती के विस्तार एवं किसानों में क्षमता विकास के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र भीलवाड़ा पर प्राकृतिक खेती इकाई की स्थापना की गई है जिसमें जीवामृत, बीजामृत, घनजीवामृत, वापसा, दशपर्णी अर्क, ब्रह्मास्त्र, अग्नि अस्त्र आदि का बनाना और कृषि में इनकी उपयोगिता के बारे में किसानों को प्रायोगिक एवं सैद्धान्तिक आधार पर अवगत करवाया जाता है। डॉ. यादव ने बताया कि पिछले कई वर्षों से हम रासायनिक कीटनाशकों का अंधाधुन्ध प्रयोग फसलों पर करते आ रहे है जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति समाप्त हो चुकी है और भूमि के प्राकृतिक स्वरूप में भी बदलाव हो रहे है जो किसानों के लिए काफभ् नुकसान दायक है। अतः हमें पुनः प्राकृतिक खेती की ओर लौटना होगा।तकनीकी सहायक अनिता यादव ने बताया कि प्राकृतिक खेती अधिक लागत नही आती है साथ ही मृदा एवं मानव स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। सहायक कृषि अधिकारी नन्द लाल सेन ने प्राकृतिक खेती के प्रमुख घटक बीजामृत, जीवामृत, घनजीवामृत, दशपर्णी, नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र एवं अग्नि अस्त्र बनाने हेतु आवश्यक सामग्री एवं बनाने की विधि को विस्तार से समझाया। वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता संजय बिश्नोई ने पंजीयन कर बताया कि प्रशिक्षण में 50 कृषक एवं कृषक महिलाओं ने भाग लिया।    

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