बिना शिक्षक के किसी भी व्यक्ति को ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता - स्वामी अच्युतानंद
भीलवाड़ा । श्री रामधाम रामायण मंडल ट्रस्ट की ओर से रामधाम मे आयोजित चातुर्मास प्रवचन के दौरान, परिव्राजकाचार्य स्वामी अच्युतानंद ने 'गुरु-शिष्य' के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, "गुरु बिना ज्ञान संभव नहीं और शिष्य बिना नारायण मिले ना पथ।" उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि जिस तरह बिना शिक्षक के किसी भी व्यक्ति को ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता, उसी तरह शिष्य के समर्पण के बिना उसे सही मार्ग नहीं मिल सकता।
उन्होंने यह भी बताया कि मनुष्य के जीवन का मुख्य आधार एक योग्य शिक्षक ही होता है, जो उसे भौतिक और आध्यात्मिक दोनों तरह से उन्नति के मार्ग पर ले जाता है। उन्होंने सभी के लिए मंगलकामना करते हुए कहा कि हर किसी के जीवन में उनके शिक्षक उन्नति में सहायक बनें।
ज्ञान और मोक्ष का आधार है विद्या स्वामी अच्युतानंद ने विद्या के महत्व को समझाते हुए एक श्लोक का उल्लेख किया: "न विद्यया विना सौख्यं नराणां जायते ध्रुवम्। अतो धर्मार्थमोक्षयो विद्याभ्यासं समाचरेत्॥"
इसका अर्थ स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि बिना विद्या के किसी को निश्चित सुख नहीं मिल सकता। एक पल के लिए मिलने वाला सुख भी बिना विद्या के ऐसा है, मानो वह हुआ ही नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी व्यक्ति अज्ञानी होकर धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के स्वरूप को पूरी तरह नहीं जान सकता। महर्षि दयानंद सरस्वती के अनुसार, विद्या से ही यथार्थ ज्ञान होता है, जिससे सही व्यवहार उत्पन्न होता है और दूसरों को सुख पहुँचाने का फल मिलता है।
यह कार्यक्रम गुरु-शिष्य परंपरा के सम्मान और शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। ट्रस्ट के प्रवक्ता गोविन्द प्रसाद सोडानी ने बताया कि स्वामी जी के प्रवचनों ने भक्तों को भाव-विभोर कर दिया, और पूरा राम धाम शिवोहम के जयकारों से गूंज उठा।
