भीलवाड़ा: भूजल विधेयक 2024 पर विधानसभा में चर्चा, संरक्षण व प्रबंधन पर जोर

Update: 2025-09-10 13:01 GMT


भीलवाड़ा 10 सितम्बर। राजस्थान विधानसभा में बुधवार को भीलवाड़ा विधायक अशोक कुमार कोठारी द्वारा राजस्थान भूजल संरक्षण और प्रबंधन प्राधिकरण विधेयक - 2024 पर बोलते हुए कहा की राजस्थान, एक जल संकटग्रस्त प्रदेश, है और प्रदेश में भूजल का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा की वर्ष 2023 के आकलन के अनुसार राज्य के 216 ब्लॉक अत्यधिक दोहन की श्रेणी में आ चुके हैं। हालांकि पिछले दो वर्षों में हुई अच्छी बारिश से भूजल स्तर में सुधार देखा गया है, लेकिन बढ़ती जनसंख्या, कृषि, उद्योग और घरेलू जरूरतों के कारण भूजल का स्तर तेजी से गिर रहा है। कोठार ने कहा की विधेयक का मसौदा सरकार द्वारा अच्छी तरह से तैयार किया गया है, लेकिन इसमें कुछ और सुधारों के साथ यह और अधिक प्रभावी बन सकेगा । उन्होंने इस विधेयक को और प्रभावी बनाए के लिए सुझाव दिए है।

विधायक कोठारी ने जल पुनर्भरण (रीचार्ज) पर जोर देते हुए कहा की विधेयक में जल पुनर्भरण का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। उद्योगों और बड़े जल उपयोग कर्ताओं के लिए वर्षा जल संचयन और पुनर्भरण को अनिवार्य किया जाना चाहिए। 'वाटर प्लस कैटेगरी' का निर्धारण भी किया जा सकता है, जिसके तहत उपयोगकर्ता जितना पानी इस्तेमाल करें, उतना ही पानी रिचार्ज भी करें।

उन्होंने एसटीपी से प्राप्त पानी का उपयोग के बारे में बताते हुए कहा की शहरी निकायों में लगे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से प्राप्त पानी का उपयोग उद्योगों के लिए अनिवार्य किया जाए। इससे जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा और निकाय को जल विक्रय से आय भी प्राप्त होगी।

विधायक कोठारी ने विधेयक को पब्लिक ट्रस्ट' का दर्जा देने की बात करते हुए जनता की भागीदारी भागीदारी की बात करते हुए कहा की ग्राम-पंचायत, वार्ड और नगर निगम स्तर पर नागरिकों को सीधे भागीदारी का अधिकार मिले, जिससे स्थानीय स्तर पर जिम्मेदारी और पारदर्शिता बढ़ेगी। |

उन्होंने टैरिफ दरों का निर्धारण की बात करते हुए कहा कि पानी के उपयोग के अनुसार टैरिफ दरों को अलग-अलग वर्गों के लिए तय किया जाए। घरेलू और पीने के पानी के लिए न्यूनतम या रियायती दरें हों तथा बड़े वाणिज्यिक उपयोग और टैंकरों के लिए उच्च दरें निर्धारित की जाएं। दरें ब्लॉक की स्थिति के अनुसार भी तय की जानी चाहिए।

डिजिटल निगरानी और मीटरिंग व्यवस्था की बात करते हुए कोठारी ने कहा कि सभी बोरवेल, नलकूप और पंपों का ऑनलाइन पंजीकरण और डिजिटल मीटरिंग कानूनी रूप से अनिवार्य की जाए।

जीपीएस -आधारित ट्रैकिंग से अनधिकृत दोहन पर सीधी नजर रखी जा सकेगी। मीटर रीडिंग को सार्वजनिक पोर्टल पर अपडेट किया जाना चाहिए ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

उन्होंने कहा की राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में जल संकट की समस्या अलग-अलग है। विधेयक में स्थान-आधारित नीति का स्पष्ट ढांचा नहीं दिखता। इसलिए, ब्लॉक/क्वार्टर-लेवल 'स्टेटस कैटेगरी' लागू की जाए और उसी के अनुसार परमिट नीति बनाई जाए।

विधानसभा में उन्होंने कहा कि यह सुझाव सरकार लागू करे तो भूजल संरक्षण और प्रबंधन को अधिक प्रभावी और न्यायसंगत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं, जिससे राज्य के भविष्य के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके

Tags:    

Similar News