नई दिल्ली। अमेरिका ने भारत से आने वाले चुनिंदा उत्पादों पर आज से 50% तक का टैरिफ लागू कर दिया है। इस फैसले से भारतीय निर्यातकों को बड़ा झटका लगा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अरबों डॉलर का निर्यात प्रभावित होगा, खासकर टेक्सटाइल, स्टील, इंजीनियरिंग गुड्स और कृषि उत्पादों पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा।
भीलवाड़ा समेत देश का टेक्सटाइल हब प्रभावित
अमेरिका भारतीय कपड़ा उद्योग का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। राजस्थान का भीलवाड़ा, सूरत, तिरुपुर और लुधियाना जैसे शहर कपड़ा उत्पादन के लिए मशहूर हैं। उद्योग संगठनों का कहना है कि बढ़े हुए टैरिफ से भारतीय वस्त्र अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे और उनकी प्रतिस्पर्धा चीन, वियतनाम व बांग्लादेश जैसे देशों से कम हो जाएगी। पहले से मंदी की मार झेल रहे कपड़ा उद्योग के लिए यह अतिरिक्त बोझ होगा।
स्टील व कृषि उत्पादों पर भी असर
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत हर साल अमेरिका को अरबों डॉलर का स्टील व इंजीनियरिंग गुड्स निर्यात करता है। वहीं बासमती चावल, मसाले, दालें और समुद्री उत्पाद भी बड़ी मात्रा में अमेरिका भेजे जाते हैं। 50% टैरिफ लागू होने के बाद इन उत्पादों की कीमतें वहां की मार्केट में बढ़ेंगी, जिससे उनकी मांग कम होने का अंदेशा है।
सरकार का रुख – "भारत दबाव में नहीं"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल गुजरात में एक कार्यक्रम के दौरान इस मुद्दे पर अप्रत्यक्ष प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत किसी भी दबाव में आकर निर्णय नहीं लेगा। मोदी ने कहा, “हम आत्मनिर्भर भारत के रास्ते पर हैं। व्यापार के मामले में हम निष्पक्ष और संतुलित दृष्टिकोण रखते हैं, लेकिन राष्ट्रीय हित सर्वोपरि रहेगा।”
केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने भी कहा है कि इस मामले को अमेरिका के साथ कूटनीतिक स्तर पर उठाया जाएगा।निर्यातकों में चिंता, रोज़गार पर असर की आशंका
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) का कहना है कि नए टैरिफ से छोटे और मध्यम निर्यातकों पर सबसे ज्यादा असर होगा। कई फैक्ट्रियों में उत्पादन कम करना पड़ सकता है, जिससे रोज़गार पर भी संकट गहरा सकता है।
उद्योग प्रतिनिधियों का कहना है कि अगर जल्द ही इस मामले का हल नहीं निकला, तो भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात आने वाले महीनों में 20-25% तक गिर सकता है।
विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह फैसला अमेरिका की घरेलू राजनीति से जुड़ा हुआ है। चुनावी साल में वहां की सरकार घरेलू उद्योगों को सुरक्षा देना चाहती है। लेकिन इसका नुकसान दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों को हो सकता है।
दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर डॉ. अरविंद मेहता का कहना है, “भारत-अमेरिका व्यापार संतुलन पहले से ही भारत के पक्ष में है। टैरिफ बढ़ने से अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी महंगे दाम चुकाने होंगे। अंततः यह दोनों देशों के लिए घाटे का सौदा है।”
आगे की राह
सरकार ने संकेत दिए हैं कि अगर अमेरिका टैरिफ पर कायम रहता है, तो भारत भी कुछ अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाने का विकल्प खुले रखेगा। आने वाले दिनों में यह विवाद विश्व व्यापार संगठन (WTO) तक पहुंच सकता है।
