जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक: रोजमर्रा की चीजें हो सकती हैं टैक्स-फ्री, जानें क्या होगा सस्ता

Update: 2025-08-30 17:22 GMT


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2025 को लाल किले से अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों की घोषणा की थी, जिसे दीवाली से पहले लागू करने की बात कही गई थी। अब 3-4 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में होने वाली जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में कई बड़े बदलावों पर चर्चा होने वाली है। इस बैठक से पहले जीएसटी स्लैब में बदलाव को लेकर महत्वपूर्ण अपडेट सामने आए हैं, जिसमें कई रोजमर्रा की जरूरी चीजों को जीरो टैक्स स्लैब में शामिल करने की संभावना है। इससे आम आदमी, किसान, और व्यापारियों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। 

क्या-क्या हो सकता है टैक्स-फ्री?

रिपोर्ट्स के अनुसार, जीएसटी काउंसिल की बैठक में कई रोजमर्रा के सामानों को जीरो जीएसटी स्लैब में लाने पर विचार किया जा सकता है। इसका मतलब है कि ये सामान पूरी तरह टैक्स-मुक्त हो जाएंगे। वर्तमान में ये सामान 5% या 18% जीएसटी स्लैब के दायरे में आते हैं। कुछ प्रमुख उत्पाद जो टैक्स-फ्री हो सकते हैं:

खाने-पीने की चीजें

यूएचटी दूध, पैकेटबंद पनीर, पिज्जा ब्रेड, और रोटी: इन पर अभी 5% से 18% तक जीएसटी लगता है। इन्हें जीरो स्लैब में लाने की चर्चा है।

रेडी-टू-ईट रोटी और पराठे: बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रेडी-टू-ईट रोटी और पराठों को भी जीरो जीएसटी स्लैब में शामिल किया जा सकता है, जिन पर अभी 18% टैक्स है।businesstoday.in

मक्खन, गाढ़ा दूध, जैम, मशरूम, खजूर, और नमकीन: इन पर मौजूदा 12% जीएसटी को घटाकर 5% करने का प्रस्ताव है।indiafilings.com

शिक्षा से जुड़े उत्पाद

शिक्षा से संबंधित कई प्रोडक्ट्स को भी टैक्स-मुक्त करने की योजना है, जैसे:

मानचित्र, ग्लोब, शैक्षिक चार्ट, पेंसिल-शार्पनर, प्रैक्टिस बुक, ग्राफ बुक, और लैबोरेटरी नोटबुक: इन पर अभी 12% जीएसटी लगता है, जिसे खत्म करने पर विचार हो रहा है 

हैंडलूम और कच्चा रेशम

मंत्रियों के समूह (GoM) ने सिफारिश की है कि हैंडलूम और कच्चे रेशम पर जीएसटी छूट जारी रहे। यह बुनकरों और कारीगरों के लिए राहतकारी होगा 

जीएसटी स्लैब में बड़े बदलाव

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में जीएसटी स्लैब को सरल करने की बात कही थी। मौजूदा 0%, 5%, 12%, 18%, और 28% के स्लैब को घटाकर मुख्य रूप से दो स्लैब (5% और 18%) करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा:

12% और 28% स्लैब हटाए जा सकते हैं: 12% स्लैब के सामान 5% या 18% में शिफ्ट हो सकते हैं, जबकि 28% स्लैब के ज्यादातर सामान 18% में आ सकते हैं। 

40% स्लैब की शुरुआत: सिन गुड्स (जैसे सिगरेट, बीयर, और लग्जरी सामान) के लिए 40% का नया स्लैब लाया जा सकता है।cleartax.in

उम्मीदें और प्रभाव

आम आदमी और छात्रों को राहत: जीरो जीएसटी स्लैब में शामिल होने से रोजमर्रा की जरूरी चीजें और शिक्षा से जुड़े सामान सस्ते होंगे, जिससे आम परिवारों और छात्रों को फायदा होगा 

छोटे कारोबारियों के लिए आसानी: प्री-फिल्ड जीएसटी रिटर्न और ऑटोमेटेड रिफंड सिस्टम से एमएसएमई और छोटे कारोबारियों को अनुपालन में सुविधा होगी। 

इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में सुधार: टेक्सटाइल, फुटवेयर, और फर्टिलाइजर जैसे सेक्टर्स में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को ठीक करने की दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं, जिससे नकदी प्रवाह की समस्याएं कम होंगी। 

राज्यों के लिए राजस्व चिंता: कुछ राज्यों ने जीएसटी दरों में कटौती से राजस्व हानि की चिंता जताई है। मंत्रियों के समूह ने सुझाव दिया है कि राजस्व नुकसान की स्थिति में राज्यों को मुआवजा देने का तंत्र होना चाहिए 

56वीं जीएसटी काउंसिल बैठक का महत्व

3-4 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में होने वाली यह बैठक जीएसटी लागू होने (2017) के बाद से सबसे महत्वपूर्ण बैठकों में से एक हो सकती है। इस बैठक में निम्नलिखित प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होगी:

जीएसटी दरों का सरलीकरण: दो मुख्य स्लैब (5% और 18%) और सिन गुड्स के लिए 40% स्लैब।

कंपनसेशन सेस की समीक्षा: राज्यों के लिए सेस को बढ़ाने, संशोधित करने, या खत्म करने पर निर्णय। 

सेक्टर-विशिष्ट सुधार: ड्रोन, ऑनलाइन गेमिंग, और क्रिप्टोकरेंसी जैसे डिजिटल एसेट्स पर जीएसटी नियमों में स्पष्टता 

अनुपालन सरलीकरण: प्री-फिल्ड रिटर्न, ऑटोमेटेड रिफंड, और डिजिटल इनवॉइसिंग में सुधार 

कब लागू होंगे ये बदलाव?

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि ये सुधार दीवाली (21 अक्टूबर 2025) से पहले लागू हो सकते हैं। 56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में अंतिम फैसला लिया जाएगा, और इसके बाद सीबीआईसी द्वारा अधिसूचनाएं जारी की जाएंगी।

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