जीएसटी सुधार पर सरकार का फोकस: दो स्लैब पर सिमटेगा टैक्स, पंजीयन तीन दिन में
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले तीन दिनों में दो बार जीएसटी सुधारों का ज़िक्र कर चुके हैं। संकेत साफ हैं—अबकी बार सिर्फ दरों की अदला-बदली नहीं, बल्कि पूरी प्रणाली को पारदर्शी और भ्रष्टाचार-मुक्त बनाने पर जोर है।
फास्ट ट्रैक पंजीयन
सरकार की योजना है कि कारोबारी का जीएसटी पंजीयन अब छह नहीं, सिर्फ तीन दिन में अनिवार्य रूप से पूरा हो। वित्त मंत्रालय मानता है कि जीएसटी से जुड़ी 95% शिकायतें पंजीयन में देरी को लेकर ही आती हैं। डिजिटलीकरण जितना बढ़ा है, भ्रष्टाचार उतना घटा है, लिहाज़ा प्रक्रिया को और डिजिटल बनाने की तैयारी है।
दो स्लैब की ओर कदम
काउंसिल की अगली बैठक 18-19 सितंबर को होने वाली है, जिसमें बड़ा फैसला संभव है। प्रस्ताव है कि 12 और 28 फीसदी वाले स्लैब खत्म कर केवल 5 और 18 फीसदी जीएसटी रखा जाए। अधिकारी मानते हैं कि पारदर्शी क्रियान्वयन हुआ तो राजस्व में कमी नहीं होगी और राज्यों को भी फायदा मिलेगा।
राज्यों की भूमिका अहम
पीएम मोदी ने 15 अगस्त के भाषण और फिर 17 अगस्त को दिल्ली में समारोह के दौरान साफ किया कि सुधारों में राज्यों की सक्रिय भागीदारी जरूरी है। राज्यों को अपने अधिकारियों को भ्रष्टाचार-मुक्त, तेज़ और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने पर जोर देना होगा ताकि इनपुट टैक्स क्रेडिट समय पर मिल सके।
PAC की रिपोर्ट भी दबाव में
संसद की लोक लेखा समिति ने हालिया रिपोर्ट में जीएसटी व्यवस्था में खामियां गिनाई थीं—पंजीकरण में देरी और क्षतिपूर्ति निधि के ऑडिट की सुस्ती उनमें प्रमुख रही।
अबकी बैठक क्यों अहम?
18-19 सितंबर की बैठक सिर्फ टैक्स दरों पर नहीं, बल्कि केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल, गणना से लेकर ऑडिट और जांच-पड़ताल तक की प्रक्रिया पर अहम फैसले कर सकती है। यही असली कसौटी होगी कि नया जीएसटी कितना पारदर्शी और कारोबारियों के लिए राहत भरा साबित होता है।
