भीलवाड़ा में नेटवर्क का नाटक: कॉल ड्रॉप और धीमा इंटरनेट बना जी का जंजाल!

Update: 2025-08-31 09:50 GMT

भीलवाड़ा हलचल शहर में मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट की सुस्त रफ्तार ने लोगों की जिंदगी को नरक बना दिया है। जवाहर नगर, लेबर कॉलोनी, आजाद चौक जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों से लेकर शांत बस्तियों तक, हर जगह कॉल ड्रॉप और लचर इंटरनेट की मार पड़ रही है। सुबह-शाम के व्यस्त घंटों में तो हालत इतनी खराब है कि फोन पर दो शब्द बोलना भी पहाड़ चढ़ने जैसा लगता है। ये कोई छोटी-मोटी परेशानी नहीं, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी पर छाया एक बड़ा संकट है, जो लोगों के धंधे, पढ़ाई और रिश्तों को ठप कर रहा है।

कॉल कटती है, जिंदगी अटकती है

शहरवासियों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। जवाहर नगर के व्यवसायी लक्ष्मी नारायण पनवा तल्खी से कहते हैं, "हर कॉल बीच में कट जाती है, ग्राहकों से बात अधूरी रहती है, और धंधा चौपट हो रहा है।" आजाद नगर की वंदना की मुश्किलें और गहरी हैं। उनके बच्चे की ऑनलाइन क्लासेस बार-बार नेटवर्क टूटने से रुक जाती हैं। "बच्चे की पढ़ाई का सत्यानाश हो रहा है," वे गुस्से में कहती हैं। ऑटो ड्राइवर बाबू भी कम परेशान नहीं। "बुकिंग की कॉल आती है, और कट जाती है। ग्राहक नाराज, और हमारी कमाई पर लात," वे तंज कसते हैं। आवाज का साफ न आना, कॉल का बार-बार डिस्कनेक्ट होना—ये अब भीलवाड़ा की पहचान बन चुकी है।

टावरों की कमी या टेलीकॉम कंपनियों की लापरवाही?

विशेषज्ञों का कहना है कि ये समस्या सिर्फ मौसम की मार नहीं। असल जड़ है टेलीकॉम टावरों की कमी और उनकी पुरानी तकनीक। शहर में मल्टीस्टोरी इमारतें, मेट्रो स्टेशन और भूमिगत निर्माण सिग्नल को और कमजोर कर रहे हैं। कई इलाकों में टेलीकॉम कंपनियां अभी भी 4G से कम क्षमता वाले पुराने उपकरणों पर काम चला रही हैं। विशेषज्ञ चेताते हैं कि अगर 5G और आधुनिक तकनीक में निवेश नहीं हुआ, तो ये संकट और गहराएगा। लेकिन सवाल ये है कि टेलीकॉम कंपनियां कब तक बहाने बनाती रहेंगी? हर महीने मोटा बिल वसूलने वाली ये कंपनियां क्या ग्राहकों को सिर्फ ठगने के लिए हैं?

जनता की पुकार, सुनो रे कंपनियां!

भीलवाड़ा की जनता अब तंग आ चुकी है। लोग पूछ रहे हैं—क्या हमारा हक सिर्फ बिल भरना है? क्या साफ कॉल और तेज इंटरनेट मांगना गुनाह है? टेलीकॉम कंपनियों को चाहिए कि वे पुराने टावरों को अपग्रेड करें, नए टावर लगाएं और 5G की दिशा में कदम बढ़ाएं। अगर ये कंपनियां अब भी नहीं जागीं, तो जनता का गुस्सा सड़कों पर उतरेगा। 

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