राज्यसभा में तेल क्षेत्र संशोधन विधेयक पारित, पेट्रोलियम और गैस सेक्टर में निवेश को मिलेगा बढ़ावा
राज्यसभा में मंगलवार को तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन विधेयक, 2024 को पारित किया गया। इस विधेयक के पारित होने के बाद तेल और गैस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा। साथ पेट्रोलियम संचालन अब खनन कार्य से अलग हो जाएगा। इस विधेयक को अगस्त में राज्यसभा में पेश किया गया था।
विधेयक पर बहस के दौरान केंद्रीय तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि तेल और गैस क्षेत्र में अधिक निवेश और लंबी अवधि शामिल है। हमें अगले 20 साल तक तेल और गैस क्षेत्र की आवश्यकता है। हमें न केवल अपने ऑपरेटरों बल्कि विदेशी निवेशकों को भी जीत का विश्वास दिलाने की जरूरत है। इसलिए इस विधेयक को लाया गया है। ताकि वे यहां आकर अपना व्यापार कर सकें और सभी को लाभ मिल सके।
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उन्होंने कहा कि विधेयक में नीति स्थिरता, विवाद समाधान और बुनियादी ढांचे को साझा करने समेत कई नए प्रावधान किए गए हैं। साथ ही विधेयक में कुछ प्रावधानों को अपराधमुक्त किया गया है। इसमें दंड, न्यायाधिकरण द्वारा निर्णय और न्यायाधिकरण के आदेश के विरुद्ध अपील को शामिल किया गया है।
इसके अलावा विधेयक में पेट्रोलियम लीज शुरू करने का प्रस्ताव है और खनिज तेलों की परिभाषा भी बदली गई है। इसमें कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम, कंडेनसेट, कोल बेड मीथेन, ऑयल शेल, शेल गैस, शेल ऑयल, टाइट गैस, टाइट ऑयल और गैस हाइड्रेट को शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य घरेलू उत्पादन बढ़ाना और आयात पर निर्भरता कम करना है।
विपक्ष ने की स्थायी समिति के पास भेजने की मांग
राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्षी सांसदों ने इसे जांच के लिए स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की। डीएमके के सांसद एनआर एलांगो ने कहा कि खनन शब्द को केवल राज्यों के अधिकारों को छीनने के लिए बदला जा रहा है। इस पर केंद्रीय मंत्री पुरी ने कहा कि न तो यह संशोधन कॉरपोरेट क्षेत्र को सौंपने और न ही राज्यों की शक्ति छीनने के लिए किया गया है। पेट्रोलियम खनन पट्टे अभी भी राज्य सरकारें ही देंगी। यह विधेयक राज्यों के लिए फायदेमंद है। जैसे-जैसे भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की राह पर आर्थिक रूप से आगे बढ़ रहा है, इसकी ऊर्जा आवश्यकताएं बढ़ रही हैं और बढ़ती मांग को पूरा करने, अपनी ऊर्जा आपूर्ति को सुरक्षित करने के लिए तेल और गैस के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने की आवश्यकता है।
भारत में हर साल 30 मिलियन एमटी कच्चे तेल का उत्पादन
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में हर साल लगभग 30 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) कच्चे तेल और 36.5 बिलियन क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस का उत्पादन होता है। हम 235 एमएमटी पेट्रोलियम उत्पाद और 68 बिलियन क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस का उपभोग करते हैं। उत्पादन और उपभोग में बड़ा अंतर है। उन्होंने कहा कि भारत में 2006 से 2016 के बीच तेल और गैस क्षेत्र में खोज को लेकर कुछ भी नहीं किया गया। इसका असर घरेलू उत्पादन पर पड़ा है। विधेयक के सभी प्रावधानों से व्यापार को आसान बनाना और तेल-गैस के उत्पादन को बेहतर करना है। एक पट्टा, एक लाइसेंस होगा।
विपक्षी सांसद ने किया दावे का विरोध
कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने पुरी के इस दावे का विरोध किया कि पिछली सरकार ने तेल और गैस क्षेत्र में खोज के लिए कुछ नहीं किया। आम आदमी पार्टी के सदस्य संजय सिंह ने कहा कि भाजपा नेताओं ने डीजल की कीमतें 40 रुपये प्रति लीटर और पेट्रोल की कीमतें 50 रुपये प्रति लीटर करने का वादा किया था, लेकिन यह कभी पूरा नहीं हुआ। एआईएडीएमके सदस्य एम थंबीदुरई ने तमिलनाडु में किसानों पर हाइड्रोकार्बन की खोज के प्रभाव पर चिंता व्यक्त की। एनसीपी सदस्य फौजिया खान और सीपीआई सदस्य पीपी सुनीर ने नए विधेयक के तहत अपराधों के गैर-अपराधीकरण पर चिंता व्यक्त की। भाजपा सदस्य घनश्याम तिवारी ने विधेयक की सराहना की। बीजद सदस्य मानस रंजन मंगराज, भाजपा सदस्य कल्पना सैनी, महेंद्र भट्ट, संजय सेठ और सिकंदर कुमार, एआईटीसी के डोला सेन, भाजपा के चुन्नीलाल गरासिया और वाईएसआरसीपी येरम वेंकट सुब्बा रेड्डी ने भी चर्चा में भाग लिया।