श्रीनगर।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, शहर में लगाए गए कुछ पोस्टरों में सुरक्षा बलों को खुली धमकी दी गई थी। 2019 के बाद ऐसा दृश्य बहुत कम देखने को मिला था, जिससे जांच एजेंसियां सतर्क हो गईं।
इस पर श्रीनगर के एसएसपी जी. वी. सुनीप चक्रवर्ती ने विशेष ध्यान दिया। वे इससे पहले ऑपरेशन महादेव के दौरान पहलगाम में तीन आतंकियों के सफाए में शामिल रह चुके हैं। उन्होंने तत्काल आदेश दिया कि यह पता लगाया जाए कि ये पोस्टर लगाने वाले लोग कौन हैं।
जांच के दौरान सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए, जिनमें तीन ओवरग्राउंड वर्कर (OGWs) की पहचान हुई। बताया गया कि ये तीनों पहले भी पत्थरबाजी और अन्य आतंकी गतिविधियों से जुड़े मामलों में शामिल रह चुके हैं।
इस खुलासे के बाद सुरक्षा एजेंसियों को जांच की दिशा मिल गई है और पूरे नेटवर्क को बेनकाब करने की तैयारी शुरू कर दी गई है।
### नेटवर्क का खुलासा: कश्मीर से हरियाणा-यूपी तक फैला जाल
मौलवी इरफान की पूछताछ में पता चला कि जैश आतंकियों ने कश्मीरी डॉक्टरों को निशाना बनाकर उन्हें कट्टरपंथी बनाया था। पुलिस ने आगे बढ़कर कई गिरफ्तारियां कीं[1]। इनमें पुलवामा निवासी और फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में कार्यरत डॉ. मुजम्मिल गनई, तथा काजिगुंड निवासी और सहारनपुर (यूपी) से जुड़े डॉ. अदील अहमद राथर शामिल हैं।
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### पाकिस्तान से जुड़े मजबूत लिंक
मौलवी इरफान के घर से जब्त मोबाइल और टेलीग्राम चैनल की जांच में पाकिस्तान स्थित जैश आतंकी उमर बिन खत्ताब से संपर्क के प्रमाण मिले हैं[2]। इरफान का एक और साथी, गांदरबल का जमीर अहमद अहंगर उर्फ मुतलशा, 'फर्जदान-ए-दारुल उलूम देवबंद' नामक पैन-इंडिया आतंकी चैट ग्रुप का सदस्य पाया गया। उसने पुष्टि की कि मुजम्मिल गनई के पास AK-47 देखी थी।
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### धमकी वाले पोस्टरों से जांच का सुराग
2019 के बाद सामने आए पोस्टरों में सुरक्षा बलों को धमकी दी गई थी, जिससे पुलिस को नए सिरे से जांच का आदेश मिला[3]। सीसीटीवी फुटेज से तीन ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) की पहचान हुई, जो पहले पत्थरबाजी के मामलों में शामिल रहे थे।
