मुश्किल में फंसी कर्नाटक सरकार का बड़ा कदम, मैसूर में MUDA के तहत दी गई 48 जमीनों का आवंटन रद्द
कर्नाटक में इन दिनों घोटालों का मुद्दा छाया हुआ है। मुडा और वाल्मिकी कॉरपोरेशन घोटाले को लेकर सिद्धारमैया सरकार विपक्ष के निशाने पर है। अब कर्नाटक सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया। उसने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एयूडीए) द्वारा आवंटित 48 भूखंडों का आवंटन रद्द कर दिया है। इन भूखंडों को पिछले साल 23 मार्च को एक प्रस्ताव द्वारा आवंटित किया गया था।
दत्तागली में हैं यह भूखंड
मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण के सूत्रों के अनुसार, ये भूखंड मैसूर शहर के दत्तागली में स्थित हैं। शहरी विकास विभाग के 30 नवंबर 2024 के आदेश के बाद एमयूडीए ने आवंटन रद्द किया है। सूत्रों ने बताया कि कथित तौर पर नियमों का उल्लंघन करने की वजह आवंटन रद्द किया गया है। उन्होंने हालांकि, आवंटन में हुए उल्लंघनों के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी।
पिछले साल लिए फैसलों को किया जाएगा रद्द
उपायुक्त जी. लक्ष्मीकांत रेड्डी, जो मुडा के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि पिछले साल 21 मार्च के मुडा प्रस्ताव के आधार पर लिए गए सभी फैसलों को रद्द किया जाएगा। जिन 48 भूखंडों का आवंटन रद्द किया है
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा भी की जा रही जांच
उन्होंने बताया कि इन भूखंडों को विवादित 50:50 अनुपात योजना के तहत आवंटित नहीं किया गया था, जिसकी जांच लोकायुक्त के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा भी की जा रही है। आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती बीएम को भी मैसूरु के प्रमुख इलाके में एमयूडीए द्वारा किए गए आवंटन से 14 भूखंड का लाभ प्राप्त हुआ।
शहरी विकास विभाग का मुडा प्रस्ताव रद्द करने का आदेश इस साल आठ अप्रैल को मुडा के तत्कालीन आयुक्त को कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने के बाद आया है। आदेश में तत्कालीन आयुक्त के 20 अप्रैल के जवाब को भी खारिज कर दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि प्रस्ताव ने कर्नाटक शहरी विकास प्राधिकरण अधिनियम 1987 और नियमों का उल्लंघन किया है।
क्या है मुडा मामला?
साल 2020 में मुडा योजना शुरू की गई थी, जिसके तहत लोगों से मैसूर के विकास के नाम पर उनकी जमीन ली गई थी, जिसके तहत 50:50 का फॉर्मूला था, जिसके चलते लोगों की जितनी जमीन ली गई उसकी 50 फीसदी जमीन या वैकल्पिक साइट उन्हें मुआवजे के तौर पर दी जानी थी। हालांकि, साल 2023 में शहरी विकास मंत्री बिरथी सुरेश ने शिकायतों के आने के बाद इस योजना को रद्द कर दिया था। हालांकि, आरोप लगे हैं कि इस योजना के निरस्त होने के बाद भी इसके तहत साइटों का आवंटन जारी रहा।
सीएम की पत्नी पर आरोप
इस योजना में कई उल्लंघन किए गए हैं। जैसे व्यक्तियों को योजना के तहत जितनी जमीन दी जानी चाहिए थी उससे ज्यादा वैकल्पिक साइटें दी गई। साथ ही आरोप है कि रियल एस्टेट एजेंटों को इस स्कीम में जमीनी दी गई है। सीएम सिद्धारमैया के साथ-साथ उनकी पत्नी पर भी आरोप है कि, पत्नी पार्वती के पास मैसूर के केसारे गांव में 3 एकड़ की जमीन थी, यह जमीन विकास के लिए मुडा ने अधिग्रहित की थी और मैसूर के एक पॉश इलाके में सिद्धारमैया की पत्नी को जमीन के बदले में एक जमीन आवंटित की गई थी। यह आरोप लगाया गया है कि सीएम की पत्नी पार्वती को जो जमीन आवंटित की गई थी वो उनसे मुडा द्वारा अधिगृहीत की गई जमीन की कीमत से ज्यादा की थी।
पार्वती सिद्धारमैया के पास मूल रूप से मैसूर के केसारे गांव में लगभग तीन एकड़ की जमीन थी, जो उनके भाई मल्लिकार्जुन ने उनको गिफ्ट में दी थी। इस जमीन को विकास के लिए मुडा द्वारा अधिग्रहित किया गया था, और 2021 में, पार्वती को दक्षिण मैसूर के एक प्रमुख इलाके, विजयनगर में 38,283 वर्ग फुट की साइट दी गई। कथित तौर पर सीएम की पत्नी ने जितनी जमीन मुडा को दी उससे ज्यादा उन्हें मुआवजे में दी गई जिसके बाद से इस योजना पर कई सवाल खड़े हो गए।