चुनावी हार के बाद महागठबंधन में तकरार तेज, कांग्रेस ने राजद पर लगाया आरोप
नई दिल्ली बिहार विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद महागठबंधन में खुला आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है। 243 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ एनडीए ने 200 से अधिक सीटें जीतकर सत्ता बरकरार रखी, जबकि महागठबंधन बेहद खराब प्रदर्शन के बाद अब आंतरिक मतभेदों से जूझ रहा है।
'राजद के साथ जुड़ाव से सवर्ण मतदाताओं में दूरी बढ़ी'
कांग्रेस में असंतोष तब खुलकर सामने आया जब दिल्ली में आयोजित समीक्षा बैठक में कई नेताओं ने गठबंधन को ही हार की वजह बताया। कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने आरोप लगाया कि पार्टी के 61 उम्मीदवारों में से अधिकतर का मानना है कि राजद के साथ गठबंधन ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया। इस बार 61 में से सिर्फ 6 कांग्रेसी उम्मीदवार ही जीत पाए। कांग्रेस नेतृत्व का एक वर्ग मानता है कि एनडीए ने 'जंगलराज' का नैरेटिव प्रभावी ढंग से चलाया, जिसने पूरे गठबंधन को प्रभावित किया। पार्टी सूत्रों ने यह भी कहा कि लालू प्रसाद के नेतृत्व वाली राजद के साथ जुड़ाव से सवर्ण मतदाताओं में दूरी बढ़ी, जो पहले कांग्रेस के मजबूत समर्थक माने जाते थे और अब भाजपा की ओर झुक गए हैं।
कांग्रेस अकेले लड़ना चाहती है तो जरूर लड़े- मंगनी लाल मंडल
राजद ने कांग्रेस के आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल ने कहा, अगर कांग्रेस अकेले लड़ना चाहती है तो जरूर लड़े, उसे अपनी औकात पता चल जाएगी। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस को जो भी वोट मिले, वे राजद के कारण ही मिले हैं। मंडल ने 2020 के चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय कांग्रेस ने 70 सीटों पर दावा ठोका था लेकिन केवल 19 जीत पाई थी। इस बीच चुनाव के दौरान सीट बंटवारे को लेकर भी राजद, कांग्रेस और वाम दलों के बीच मतभेद सामने आए थे, जिसकी वजह से कई सीटों पर ‘फ्रेंडली फाइट’ हुई। भाजपा ने इस भ्रम और अव्यवस्था का पूरा राजनीतिक फायदा उठाया।
हालांकि मतभेदों के बावजूद महागठबंधन ने विधानसभा सत्र से पहले एकता दिखाने की कोशिश की। शनिवार को हुई बैठक में सभी दलों ने तेजस्वी यादव को सर्वसम्मति से नेता चुना। कांग्रेस की ओर से तीन प्रतिनिधि मौजूद थे, जबकि उसके चार विधायक दिल्ली में थे।