श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति ने मुनि अनुपम सागर को वात्सल्य दिवाकर की पदवी से अलंकृत किया
भीलवाड़ा। श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित श्री सुपार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में वर्ष 2025 का चातुर्मास कर रहे पट्टाचार्य आचार्य विशुद्धसागर महाराज के शिष्य मुनि अनुपम सागर महाराज एवं मुनि निर्मोहसागर महाराज के चातुर्मास समापन पर रविवार को सूर्यमहल में वर्षायोग निष्ठापन, पिच्छिका परिवर्तन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। समारोह से पूर्व पूज्य मुनि ससंघ के सानिध्य में हाउसिंग बोर्ड स्थित मंदिर में चातुर्मास का ध्वज विसर्जन किया गया। इसके पुण्यार्जक तिलोकचंद,संदीप सौरभ छाबड़ा रहे। इसके बाद भव्य शोभायात्रा के साथ मुनि ससंघ कार्यक्रम स्थल सूर्यमहल पहुंचे। समारोह में मुनि अनुपमसागर महाराज ने कहा कि चातुर्मास के अंत में संत पिच्छिका परिवर्तन करते है क्योंकि कार्तिक माह में मयूर अपने पंख को सहज छोड़ देता है। इससे संत अपनी नवीन पिच्छी धारण करते है। पिच्छी संत इसलिए धारण करते है क्योंकि संत जीवदया के धारी होते है। पिच्छी जीव रक्षा का उपकरण है उसके पांच गुण धूल ग्रहण नहीं करना, कोमलता, लघुता, शुचिता, झुकने वाली होती है। इसलिए किसी भी प्रकार की मयूर पीड़ा नहीं देनी पड़ती है ओर ना ही हिंसा होती है। उन्होंने भीलवाड़ावासियों को पारस्परिक प्रेम,एकता व भाईचारे का संदेश प्रदान करते हुए उनको मंगलमय खुशहाल जीवन का आशीर्वाद प्रदान किया एवं मंगलभावना व्यक्त की। उन्होंने चातुर्मास में जिनवाणी श्रवण कराने के दौरान किसी प्रकार की कोई गलती हुई हो तो भीलवाड़ावासियों से क्षमायाचना भी की। मुनि निर्मोहसागर महाराज ने कहा कि कोई भी चातुर्मास तभी सार्थक बनता है जब उसमें सुनाई गई जिनवाणी को आत्मसात कर हमे अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव कर पाए। इस चातुर्मास ने भीलवाड़ावासियों के जीवन में बदलाव की नई पहल की ओर कई लोग धर्म के मार्ग पर चलने को प्रेरित हुए। समिति के मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया कि समारोह में चातुर्मास आयोजक श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति ने मुनि अनुपम सागर महाराज को वात्सल्य दिवाकर की पदवी से अलंकृत किया एवं अलंकरण पत्र मुनिश्री के श्रीचरणों में समर्पित किया। समाज के सेवाभावी श्रावक श्राविकाओं द्वारा मुनि ससंघ को जीवों की रक्षार्थ एवं संयम की पालनार्थ नई पीच्छियां भेंट की गई तथा संतों द्वारा श्रावकों को पुरानी पिच्छियां वैराग्य की प्रेरणा देते हुए प्रदान की गई। मुनि अनुपम सागर महाराज की पुरानी पिच्छी राकेश शशि, हिमांशु आकांक्षा विहाना पाटनी परिवार ने एवं मुनि निर्मोहसागर महाराज की पुरानी पिच्छी मनोहरदेवी विनोद कमलेश सोमेश सुधा वत्सल हित्वी ठग परिवार ने प्राप्त करने का सौभाग्य पाया। समारोह के शुरू में दीप प्रज्वलन महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति एवं सभी मंदिर के पदाधिकारियों ने किया। मंगलाचरण की प्रस्तुति त्रिशला महिला मण्डल की सदस्यों ने दी। बहु मण्डल की सदस्यों ने भक्ति नृत्य की प्रस्तुति दी। पाद प्रक्षालन का सौभाग्य राकेश हिमांशु पाटनी परिवार एवं जिनवाणी भेंट का सौभाग्य भागचंद विजय काला परिवार एवं कई श्रावक श्राविकाओं ने प्राप्त किया। इस अवसर पर समाजजनों द्वारा सफल चातुर्मास कराने पर श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के पदाधिकारियों का माला दुपट्टा पगड़ी पहनाकर स्वागत किया। समारोह में समाज के पदाधिकारियों ने कई पुस्तकों का विमोचन भी किया।