महासाध्वी कुमुदलताजी म.सा. के सानिध्य में सजोड़ा अनुष्ठान में सर्व भय एवं कष्ट निवारण की कामना

Update: 2025-10-19 11:18 GMT


भीलवाड़ा । हाथों में रक्षा सूत्र निर्माण के लिए पवित्र धागा था ओर जुबां पर जिनशासन के रक्षक देव श्री घंटाकर्ण महावीर का नाम था। आराधना का लक्ष्य एक ही था सर्व प्रकार का भय एवं कष्ट दूर हो ओर जीवन शांतिमय सुखमय बने। सभी सुखी एवं स्वस्थ रहे ओर किसी के जीवन में कोई दुःख नहीं रहे। सैकड़ो दंपति एक साथ अनुष्ठान आराधना कर रहे थे तो वातावरण असीम आध्यात्मिक पावन पॉजिटिव एनर्जी से सरोबोर हो गया। ये नजारा भीलवाड़ा में रविवार को रूप चतुर्दशी के शुभ अवसर पर सर्व कष्ट एवं भय निवारण की मंगलकामना से अनुष्ठान आराधिका ज्योतिष चन्द्रिका महासाध्वी कुमुदलताजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में आध्यात्मिक चातुर्मास आयोजन समिति भीलवाड़ा द्वारा श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक समिति सुभाषनगर के तत्वावधान में तथा राष्ट्रीय महामंगलकारी अनुष्ठान समिति के प्रायोजन में आरसी व्यास कॉलोनी में गेट न.33 के पास स्कूल के नजदीक ग्राउण्ड में सजोड़ा श्री घंटाकर्ण महावीर अनुष्ठान स्रोत अनुष्ठान आराधना के दौरान नजर आया। अनुष्ठान आराधना सुबह 8.15 बजे से शुरू हुई पर उससे पहले ही भीलवाड़ा एवं आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से सैकड़ो दंपति अनुष्ठान पांडाल में पहुंच गए। श्री घंटाकर्ण महावीर स्रोत अनुष्ठान से पहले प्रत्येक साधक को दो-दो पवित्र धागे दिए गए थे। अनुष्ठान के दौरान श्री घंटाकर्ण महावीर स्रोत उच्चारण के दौरान प्रत्येक धागे में कुल 29 गांठ लगा रक्षा सूत्र का निर्माण किया गया। आराधना करने वालों में सजोड़ा के साथ कई एकल श्रावक श्राविका भी शामिल थे। आराधना में दो हजार से अधिक श्रद्धालु शामिल हुए। महासाध्वी कुमुदलताजी म.सा. ने कहा कि ये आराधना पुण्यदायी होने के साथ जीवन से हर प्रकार का भय व संकट दूर करने वाली है। रूप चतुर्दशी पर इस स्रोत की आराधना सर्व कष्ट व संकट निवारण करने वाली एवं महामंगलकारी होती है। कई चिकित्सक, इंजीनियर, सीए, प्रबंधक जैसे प्रोफेशनल ने भी इस आयोजन में शामिल होकर आध्यात्मिक साधना की। अनुष्ठान समाप्ति पर महासाध्वी मण्डल के करकमलों से प्रत्येक साधक को श्री घंटाकर्ण महावीर यंत्र भी प्रदान किया गया। अनुष्ठान के शुरू में रक्षा कवच निर्माण के लिए श्री व्रज पंज्जर स्रोत का जाप किया गया। अनुष्ठान प्रारंभ होने से पूर्व विद्याभिलाषी राजकीर्तिजी म.सा. ने भगवान महावीर की अंतिम देशना उत्तराध्ययन सूत्र के मूलपाठ का वाचन भी किया। स्वरसाम्राज्ञी डॉ. महाप्रज्ञाजी म.सा. ने भजनों की प्रस्तुति दी। 

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