भारी कंबल और अच्छी नींद का है कनेक्शन, रिसर्च में हुआ खुलासा
सर्दियों का मौसम शुरू हो गया है और सुबह-शाम की ठंड बढ़ गई है. ठंडे मौसम को देखते हुए तमाम लोगों ने अपने कंबल और रजाईयां निकालनी शुरू कर दी. देश में जहां पहले ऊन से बनी भारी रजाईयां इस्तेमाल की जाती थी वहीं अब इसकी जगह हल्के फर फैदर के कंबलों ने ले ली है. जो देखने में और वजन में बेहद हल्के होते हैं लेकिन काफी गर्म होते हैं. लेकिन हाल ही में नींद और रजाई पर किए गए एक शोध से सामने आया है कि हल्के कंबलों की बजाय भारी रजाईयां आपकी नींद के लिए बेहतर साबित होती हैं. हालांकि भारी रजाईयों का रखरखाव हल्के कंबलों से ज्यादा रहता है लेकिन ये आपको एक अच्छी नींद प्रदान करती हैं.
ऑस्ट्रेलिया में फ़्लिंडर्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोध में पता चला है कि भारी कंबलों और रजाईयों से नींद में सुधार, दवा का कम उपयोग और मूड में सुधार होता है. वही हल्के कंबलों को लेकर सोने से नींद में परेशानी, बार-बार नींद टूटना और मूड में चिड़चिड़ापन देखने को मिला है. इस शोध के रिसर्चर डॉ. डॉसन कहते हैं कि वजन वाले कंबल नींद की गुणवत्ता में सुधार करते हैं जिससे नींद के लिए किसी भी अतिरिक्त दवा लेने की जरूरत नहीं रहती. वो आगे बताते हैं कि भारी कंबल का उपयोग करने वाले वयस्क बेहतर नींद, नींद की दवाओं के उपयोग में कमी और बेहतर मूड का अनुभव करते हैं. शोध के ये परिणाम खासकर वयस्कों के बीच रिपोर्ट किए गए हैं.
भारी कंबल है बेहतर
शोधकर्ताओं का कहना है कि ये शोध बदलते लाइफस्टाइल और चीजों के उपयोग करने के तरीके पर आधारित था. वजन भारी होने से लोग ज्यादा गर्माहट का अनुभव करते हैं जिससे ठंड की वजह से उनकी नींद बार-बार नहीं टूटती. वही हल्के कंबल बार-बार इधर-उधर होने का डर रहता है जिससे बीच-बीच में ठंड का अनुभव होने से नींद खुलती रहती है.
नींद की कमी बन रही है समस्या
2023 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, नींद की समस्या युवाओं में तेजी से बढ़ रही है. यूरोप में दस में से एक व्यक्ति नींद न आने की समस्या यानी कि अनिद्रा से पीड़ित है और ये समस्या पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है. नींद एक बुनियादी मानवीय जरूरत है और जब किसी को पर्याप्त नींद नहीं मिलती तो उसे कई मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है. एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए पर्याप्त नींद बेहद जरूरी है. नींद की कमी से हृदय रोग, स्ट्रोक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है.