बनारसी और कांजीवरम साड़ी में क्या होता है फर्क? शॉपिंग में इस तरह करें पहचान

By :  vijay
Update: 2025-01-30 19:40 GMT

भारतीय महिलाओं के लिए साड़ी एक ऐसी ड्रेस है, जिसे वो किसी भी मौके पर बिना ज्यादा कुछ सोचे-समझे स्टाइलिश तरीके से कैरी कर सकती हैं. महिलाओं की वार्डरॉब साड़ी के बिना अधूरी मानी जाती है. उनके पास हर मौके के लिए एक परफेक्ट साड़ी मिल ही जाएगी. हालांकि, जब भी बात किसी खास मौके की होती है तो महिलाएं बनारसी या कांजीवरम साड़ी को कैरी करना पसंद करती हैं. मार्केट में आपको दोनों की एक से एक वैरायटी देखने को मिल जाएगी.

हालांकि, कई बार महिलाएं बनारसी और कांजीवरम साड़ी को सही से पहचान नहीं पाती हैं, जिसकी वजह से वो बनारसी की जगह कांजीवरम या फिर कांजीवरम की जगह बनारसी साड़ी खरीद लेती हैं. क्या आपके साथ ऐसा कभी हुआ है? अगर इसका जवाब हां में है तो आईये इस आर्टिकल के जरिये जानते हैं कि आप बनारसी और कांजीवरम साड़ी में फर्क कैसे करें.

दोनों में यूज किए गए सिल्क में होता है फर्क

जहां एक ओर कांजीवरम साड़ी को प्योर मलबेरी सिल्क से बनाया जाता है तो वहीं बनारसी साड़ी के लिए महीन सिल्क थ्रेड्स को यूज किया जाता है. मलबेरी सिल्क अपनी ड्यूरेबिलिटी और नेचुरल शीन के लिए जाना जाता है. वहीं, महीन सिल्क थ्रेड्स बनारासी साड़ी को बहुत ही डेलिकेट और स्मूथ टेक्सचर देते हैं.

बुनाई की तकनीक में है अंतर

कांजीवरम साड़ियां ड्यूरेबिलिटी को ध्यान में रखते हुए हाथ से बुनी जाती हैं. इसमें बॉडी और बॉर्डर को अलग-अलग बुना जाता है और फिर आपस में जोड़ा जाता है, जिससे ये और भी मजबूत हो जाती हैं. वहीं, बनारसी साड़ियों की बात करें तो इन्हें ब्रोकेड तकनीक का यूज करके तैयार किया जाता है. बनारसी साड़ियों में अक्सर जटिल पैटर्न और भारी सोने या चांदी की ज़री का काम किया जाता है.

दोनों के मोटिफ्स और पैटर्न हैं अलग

कांजीवरम साड़ियों में आमतौर पर मोर, तोते, चेक्स या टेम्पल डिजाइन के ट्रेडिशनल मोटिफ्स का यूज किया जाता है. इसमें बोल्ड और कंट्रास्टिंग बॉर्डर्स होते हैं, जोकि साड़ी को रॉयल लुक देने में मदद करते हैं. वहीं, बनारसी साड़ियों में आमतौर पर फ्लोरल या फोलिएट डिजाइंस का इस्तेमाल किया जाता है, जो अधिकतर मुग़ल आर्ट से इंस्पायर्ड होते हैं. बनारसी साड़ियों में डेलिकेट और डिटेल्ड बॉर्डर्स होते हैं.

वजन और कम्फर्ट में है फर्क

कांजीवरम साड़ियां मोटे सिल्क और जटिल जरी के काम के कारण ज्यादा हैवी हो जाती हैं. दक्षिण भारत में दुल्हनें शादी-ब्याह जैसे खास मौके पर कांजीवरम साड़ी कैरी करना पसंद करती हैं. वैसे आमतौर पर कांजीवरम साड़ियों को खास मौके पर ही स्टाइल किया जाता है. वहीं बनारसी साड़ियां कांजीवरम के मुकाबले वजन में थोड़ी हल्की होती हैं, जिसके कारण ये ज्यादा कम्फ़र्टेबल होती हैं. आप इसे किसी भी मौके पर कैरी कर सकती हैं.

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