राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: SI भर्ती पेपर लीक मामले में रामूराम राइका सहित 23 को जमानत, 30 की अर्जी खारिज
जयपुर, : राजस्थान पुलिस उपनिरीक्षक (SI) भर्ती-2021 के पेपर लीक कांड में राजस्थान हाईकोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के तत्कालीन सदस्य रामूराम राइका सहित 23 आरोपियों को जमानत दे दी, जबकि 30 अन्य आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी। इस मामले में राइका के बेटे देवेश और बेटी शोभा, जो भर्ती में चयनित हुए थे, पहले ही जमानत पर रिहा हो चुके हैं। हाईकोर्ट के इस फैसले ने एक बार फिर इस हाई-प्रोफाइल पेपर लीक मामले को सुर्खियों में ला दिया है, जिसमें RPSC के अंदर की सांठगांठ और भ्रष्टाचार की गहरी परतें उजागर हुई हैं।
पेपर लीक का मास्टरमाइंड और जमानत का खेल
पुलिस उपनिरीक्षक भर्ती-2021 का पेपर लीक मामला राजस्थान की सबसे बड़ी भर्ती घोटालों में से एक है, जिसने न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाए, बल्कि लाखों युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ को भी उजागर किया। रामूराम राइका, जो 2018 से 2022 तक RPSC के सदस्य रहे, इस मामले में मुख्य आरोपियों में से एक हैं। जांच में सामने आया कि राइका ने तत्कालीन RPSC सदस्य बाबूलाल कटारा से पेपर हासिल किया और अपने बच्चों—देवेश (40वीं रैंक) और शोभा (5वीं रैंक)—को उपलब्ध कराया, जिसके चलते दोनों का चयन हुआ।
1 सितंबर 2024 को राजस्थान पुलिस की स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) ने राइका को 5 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। उनके बच्चों और तीन अन्य प्रशिक्षु उपनिरीक्षकों—मंजू देवी, अविनाश पालसानिया और विजेंद्र कुमार—को भी उसी दिन गिरफ्तार किया गया था। इन सभी को राजस्थान पुलिस अकादमी (RPA) से हिरासत में लिया गया और SOG कार्यालय में पूछताछ के लिए लाया गया। अब तक इस मामले में 61 आरोपियों के खिलाफ तीन अलग-अलग चार्जशीट दाखिल की जा चुकी हैं, जिनमें 33 प्रशिक्षु उपनिरीक्षक, 4 चयनित अभ्यर्थी (जिन्होंने सेवा जॉइन नहीं की), और 24 अन्य सहयोगी शामिल हैं।
हाईकोर्ट का फैसला: 23 को राहत, 30 को झटका
न्यायाधीश अशोक कुमार जैन की एकल पीठ ने 19 अगस्त 2025 को 52 आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई पूरी की थी। सोमवार को दिए गए फैसले में कोर्ट ने उन 23 आरोपियों को जमानत दे दी, जिनमें प्रशिक्षु उपनिरीक्षक, डमी महिला परीक्षार्थी, हैंडलर, और पेपर खरीदने वाले अभ्यर्थी शामिल हैं। कोर्ट ने माना कि इनके खिलाफ सबूतों की कमी है या उनके अपराध की गंभीरता कम है। रामूराम राइका को जमानत देते हुए उनके वकील वरिष्ठ अधिवक्ता विवेकराज बाजवा ने तर्क दिया कि राइका लंबे समय से जेल में हैं, मामले में चालान पेश हो चुका है, और सुप्रीम कोर्ट ने समान मामलों में सह-आरोपियों को जमानत दी है। बाजवा ने कहा, "आरोपी को अब और कस्टडी में रखने का कोई औचित्य नहीं है।"
वहीं, कोर्ट ने 30 अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं, जिनके खिलाफ गंभीर आरोप और पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं। इनमें पेपर लीक के मुख्य सरगनाओं और डमी考生ों से जुड़े लोग शामिल हैं। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि इस तरह के संगठित अपराध समाज और प्रशासनिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा हैं, और ऐसे मामलों में सख्ती बरतना जरूरी है।
पेपर लीक की गहरी साजिश
SOG की जांच में इस घोटाले की चौंकाने वाली परतें खुली हैं। जांच से पता चला कि पेपर लीक का जाल पूरे राजस्थान में फैला था, जिसमें RPSC के छह सदस्यों की संलिप्तता सामने आई। पेपर लीक का मास्टरमाइंड माने जाने वाले जगदीश बिश्नोई जैसे गिरोहों ने पेपर को 15-20 लाख रुपये में बेचा था। डमी考生ों का इस्तेमाल कर कई अभ्यर्थियों ने अनुचित तरीके से परीक्षा पास की। हाईकोर्ट ने 28 अगस्त 2025 को इस भर्ती को रद्द कर दिया था, जिसमें 859 पदों के लिए 7.97 लाख अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था। कोर्ट ने इसे "प्रणाली के साथ धोखाधड़ी" करार देते हुए कहा कि "एक भी बेईमान उम्मीदवार का पुलिस स्टेशन प्रभारी बनना कानून-व्यवस्था के लिए खतरनाक होगा।"
राजनीतिक हलचल और प्रशासनिक नाकामी
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इस मामले ने राजस्थान की राजनीति में भी भूचाल ला दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में राइका को RPSC सदस्य बनाया गया था, और अब भजनलाल सरकार में उनकी गिरफ्तारी ने सियासी तंज को हवा दी है। विपक्षी नेता गोविंद सिंह डोटासरा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "BJP ने भर्ती घोटालों को रोकने के बड़े-बड़े दावे किए, लेकिन सच्चाई यह है कि उनके ही लोग इस गोरखधंधे में शामिल थे।" दूसरी ओर, BJP नेता और कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने कोर्ट के फैसले को "सत्य की जीत" करार दिया।
