वन्य जीव गणना में वन्य जीव प्रेमी हुए रोमांचित
शावक के साथ घूमती नजर आई मादा लेपर्ड
त्तौड़गढ़। जिले के सीता माता और बस्सी वन्य जीव अभ्यारण में वैशाख पूर्णिमा पर वन्यजीवों की गणना हुई जिसमें वन्य जीव प्रेमी वन्य जीवों की साईटिंग से रोमांचित हो गये। भीषण गर्मी और तेज धूप के बीच में वनकर्मियों के साथ वन्यजीव प्रेमियों ने चौबीस घंटो तक अभ्यारण क्षेत्र में बैठकर वन्य जीवो की हलचल को अपने कैमरों में कैद करने के साथ ही उसका आनंद उठाया। बुद्ध पूर्णिमा की धवल चांदनी में वन्य जीवों की गणना की गई। गणना वॉटर होल पद्धति से की गई, पानी के कुंडों के आसपास मचान पर वन कर्मियों ने बैठकर वन्य जीवों की गणना की। जिले की दोनों सेंचुरी और टेरिटोरियल एरिया में कुल 177 वाटर हॉल है। पिछले साल बेमौसम बरसात की वजह से वाटर होल पद्धति से वन्यजीव गणना नहीं हो पाई थी। वन क्षेत्रों में लगाये गये ट्रेप कैमरों मंे पैंथर, जंगली सुअर, चीतल, जंगली मुर्गे, सियागोश, लकड़बग्घे, भेड़िए, सियार, लोमड़ी, जंगली बिल्ली, लंगूर, नीलगाय, सेही सहित अन्य वन्य जीवों की हलचल कैद हुई। वही कई स्थानों पर पैंथर की दहाड़ने की आवाज सुनी गई। सभी प्रकार के वन्य जीवों की बढती संख्या एक अच्छे संकेत माने जा रहे है।
शावक के साथ घूमती नजर आई मादा लेपर्ड
बुद्ध पूर्णिमा पर धवल चांदनी की रोशनी में वन्यजीव गणना की गई। यह गणना गुरुवार सुबह 8 बजे से शुरू होकर शुक्रवार सुबह 8 बजे तक की गई। बस्सी सेंचुरी, सीतामाता सेंचुरी और टेरिटोरियल एरिया में गिनती की गई। इस दौरान बस्सी सेंचुरी क्षेत्र के बड़ा पानी, अंबा पानी नाका पर ट्रैप कैमरा में मादा लेपर्ड अपने एक शावक के साथ घूमती हुई दिखाई दी। इसके अलावा एक अजगर भी पानी में तैरता हुआ नजर आया। वन्यजीव गणना को लेकर इस बार काफी उत्साह देखा गया। कई वन्यजीव प्रेमी इस गणना में भाग लेने के लिए पहुंचे। गुरूवार को सुबह से चिलचिलाती धूप में गणना शुरू हुई जो शुक्रवार सुबह तक जारी रही। इस दौरान रात को कई वन्य जीवोें की हलचल देखने को मिली। इस बार वन्यजीवों की संख्या में बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही हैं। इसको लेकर कर्मचारी भी काफी खुश नजर आए।
सीतामाता सेंचुरी के हर रेंज में दिखा लेपर्ड
रेंजर सोमेश्वर त्रिवेदी ने बताया कि इस बार लेपर्ड की संख्या बढ़ी है। सीतामाता सेंचुरी के तीनों रेंज धरियावद, जाखम और बड़ीसादड़ी में हर जगह लेपर्ड की हलचल देखने को मिली। यहां कुछ सालों से लेपर्ड की संख्या कम देखी जा रही थी। इसके अलावा चौसिंगा की भी संख्या बढ़ी है। गणना के दौरान हायना, जंगली बिल्ली, लोमड़ी, बीज्जू, जंगली सूअर, उड़न गिलहरी नजर आए।