जैविक खेती को मिलेगा नया आयाम — किसान अपने ब्रांड नाम से बेच सकेंगे फसलें, तीन गुना तक बढ़ेगी आमदनी

Update: 2025-10-22 10:50 GMT


चित्तौड़गढ़। किसानों की आय बढ़ाने और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग ने बड़ा कदम उठाया है। विभाग अब किसानों को जैविक खेती के लिए न सिर्फ प्रोत्साहित करेगा, बल्कि उन्हें **अपना खुद का ब्रांड** बनाकर उत्पाद बाजार में बेचने की सुविधा भी देगा। इससे गेहूं, बाजरा, मक्का, सोयाबीन और चने जैसी फसलों पर किसानों को पारंपरिक खेती के मुकाबले **तीन गुना तक बेहतर भाव** मिलने की संभावना है।

### 🌾 दस हजार हेक्टेयर में होगी जैविक खेती

योजना के तहत चित्तौड़गढ़ जिले में करीब 10,000 हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती करवाई जाएगी। केंद्र सरकार के पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद अब इस मॉडल को वृहद स्तर पर लागू किया जा रहा है। कृषि विभाग किसानों को कलस्टर बनाकर जैविक गेहूं, मक्का, सरसों, बाजरा और सोयाबीन जैसी फसलें बोने के लिए प्रेरित कर रहा है।

### 💰 किसानों को मिलेगा अनुदान व प्लेटफॉर्म

* किसानों को जैविक खाद और बीज विभाग की ओर से **नि:शुल्क** मुहैया कराए जाएंगे।

* खेत में वर्मी कम्पोस्ट यूनिट तैयार करने के लिए अनुदान दिया जाएगा।

* केंचुए भी अनुदान पर उपलब्ध कराए जाएंगे।

* खेतों के चारों ओर दीवार बनाकर बफर जोन तैयार किया जाएगा, जिसके लिए अलग से अनुदान देय होगा।

* विभाग की ओर से **ऑनलाइन व ऑफलाइन प्लेटफॉर्म** भी उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि किसान अपनी फसलें सीधे बाजार में बेच सकें।

### 🧪 हर साल होगी मिट्टी की जांच

जैविक प्रमाणन से पहले तीन वर्षों तक खेत की मिट्टी और पौधों की जांच की जाएगी। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार रासायनिक उर्वरकों का असर लगभग तीन साल में खत्म हो जाता है। इसके बाद खेत में उपजने वाली फसल पूरी तरह **जैविक श्रेणी में प्रमाणित** हो जाती है।

### 🏷️ ब्रांडिंग से बढ़ेगी किसानों की ताकत

तीन वर्ष की निगरानी अवधि के बाद कृषि विभाग किसानों को प्रमाण-पत्र जारी करेगा। इसके बाद किसान अपनी फसल को अपने ब्रांड नाम से बेच सकेंगे। बाजार में जैविक उत्पादों की उच्च मांग को देखते हुए किसानों को सामान्य फसलों की तुलना में **तीन गुना तक अधिक मूल्य** मिलने की संभावना है।

कृषि विभाग का मानना है कि इस योजना से न केवल किसानों की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि मिट्टी की उर्वरकता भी बरकरार रहेगी और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता घटेगी।

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