मेवाड़ टॉक फेस्ट 3.0 का प्रारंभ- स्वत्व को बनाए रखने में साहित्य की भूमिका महत्वपूर्ण

By :  prem kumar
Update: 2025-01-11 14:21 GMT

 राजसमंद( राव दिलीप सिंह परिहार)साहित्य व संवाद के उत्सव मेवाड़ टॉक फेस्ट का तीसरा संस्करण राजसमंद शहर के भिक्षु निलयम में शनिवार को "भारत के स्व की कहानी" थीम पर प्रभु द्वारकाधीश जी के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर शुभारंभ हुआ। दो दिवसीय यह टॉक फेस्ट स्वामी विवेकानंद को समर्पित रहेगा।

उद्घाटन सत्र में ठाकुर जी की आराधना में मनस्वी व्यास ने हवेली संगीत प्रस्तुत किया तथा अंजली जुयल ने रश्मिरथि का पाठ किया। "भारत के स्व की कहानी" विषय पर बीज भाषण मुख्य वक्ता सुरेंद्र सिंह राव "मृत्युंजय" ने दिया।

सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि युवाओं को अपने स्वत्व को पहचानना जरूरी हैं। इतिहास में स्वत्व को मिटाने के बहुत प्रयास हुए हैं, जो अभी भी जारी है। परंतु हर युग में स्वत्व को बनाए रखने के लिए साहित्य, गीत के साथ शिक्षा की भूमिका रही हैं। हमें पाश्चात्य मानसिक गुलामी से बाहर निकलना होगा।

पहले पैनल डिस्कशन "सिनेमा व समाज" विषय पर फिल्म निर्माता विवेक शर्मा, लेखक मुरारी गुप्ता व संगीतकार एकार्थ के साथ प्रोफेसर अमिताभ श्रीवास्तव ने वार्ता की। म्यूजिक डायरेक्टर एकार्थ ने कहा कि बॉलीवुड में भारत के आत्मबोध से सम्बन्धी कंटेंट बनने लगा, क्योंकि युवाओं ने सूचना माध्यम से अपनी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया पहुंचाइ। जिसमें युवाओं के फिल्मों में भारतीयता को कैसे बढ़ाया जाएं, इंटरनेट पर किस प्रकार का कंटेंट देखना है, जैसे प्रश्नों को उठाया। फ़िल्म ने सत्र में युवाओं ने सत्र में कृष्णांशी और सुगंधा पुस्तक का परिचय दिया। समानांतर सत्र में 4 मिनट की अवधि की स्टोरी टेलिंग प्रतियोगिता और 'मेवाड़ के ऐतिहासिक/धार्मिक स्थल के दृश्य" पर ड्राइंग प्रतियोगिता आयोजित हुई । जिसमे प्रतिभागियों ने हाड़ी रानी, हल्दीघाटी, द्वारकाधीश जी, मीरा बाई सहित प्रमुख स्थलों के चित्र बनाये।

"लेखक की बात" सत्र में अमित वर्मा ने अपनी पुस्तक "दीनदयाल उपाध्याय" पर और याजवेंद्र यादव ने उनकी पुस्तक तुष्टिकरण की यात्रा 1921 से 2021 पर चर्चा की। अमित वर्मा ने दीनदयाल उपाध्याय के द्वारा दिए एकात्म मानवता के दर्शन पर बात की। सत्र में जे. नंदकुमार की पुस्तक राष्ट्रीय स्वत्व के लिए संघर्ष का परिचय दिया गया।

दूसरे पैनल डिस्कशन में "स्व के उद्घोषक: स्वामी विवेकानंद" विषय पर पैनल वार्ता हुई, जिसमें लेखक उमेश चौरसिया, डॉ स्वतंत्र कुमार व भूपेंद्र जोशी से प्रोफेसर कुंजन आचार्य ने चर्चा की। सत्र में विवेकानंद के संदेश अतीत से प्रेरणा लेकर भविष्य को सुदृढ़ बनाने पर चर्चा हुई । सत्र में पेनलिस्टों ने बताया कि जितना आध्यत्म पुष्ट होगा, हमारा स्वयं का विकास होगा, जिससे सम्पूर्ण देश में स्वत्व की भावना का जागरण होगा।

प्रेरक सत्र में जेएनयू प्रोफेसर डॉ राजेश जांगिड़ ने वॉलंटियर्स को अध्ययन एवं प्रबंधन पर मार्गदर्शन प्रदान किया। विद्यार्थियों के कैरियर सम्बन्धी प्रश्नों के जवाब दिए।

नाइट स्टेज सत्र में स्वामी विवेकानंद जयंती की पूर्व संध्या पर केएल कलावत के निर्देशन में नाटिका का मंचन हुआ। नाटक में विवेकानन्द दिशान्त साहू, रामकृष्ण कलावत के. एल., राहगीर अजय सक्सेना, अतिथि खुशबू और शिष्य भारती प्रजापति ने अभिनय किया।

  ये होंगे कार्यक्रम

एमटीएफ 3.0 के दूसरे दिन 12 जनवरी रविवार को पहले सत्र में सुबह 10 बजे अमर बलिदानी कालीबाई भील को समर्पित शॉर्ट फिल्म वीरबाला का प्रदर्शन किया जायेगा। इस अवसर पर निर्देशक शुभम, बाल कलाकार भूमिका भट्ट व अभिनेत्री परिधी भटनागर अपने अनुभव प्रतिभागियों के साथ शेयर करेंगे।

समानांतर सत्र में रूचि श्रीमाली व प्रवीण मकवाना "आर्ट ऑफ रिडिंग" और IIMC नई दिल्ली की प्रो संगीता प्रणवेन्द्र "क्रिएटिव राइटिंग" की कार्यशालाएं लेंगे।

पहले पैनल डिस्कशन सत्र "क्रिटिकल थिंकींग इन डिजीटल एज" में सोशल वर्कर मामराज मेघवाल, सोशल मीडिया एक्सपर्ट योगेश राजपुरोहित, इंफ्लुंसर परिधि भटनागर व लेखक चन्द्रेश टेलर से मॉडरेटर शीतल पालीवाल चर्चा करेगी।

01 बजे "लेखक से बात" सत्र में हर्षवर्धन अपनी पुस्तक हिन्दू इकोनॉमि और रतन लाल अपनी पोस्टल काला सोना पर पाठकों से रूबरू होंगे।

दूसरा पैनल डिस्कशन सत्र 2 बजे "शक्ति की अभिव्यक्ति" विषय पर होगा, जिसमें वक्ता आईआईएमसी की प्रोफेसर संगीता प्रणवेन्द्र, समाजशास्त्री ऋतू श्रीवास्तव और लेखक शिवानी स्वर्णकार से रूचि श्रीमाली चर्चा करेगी।

अपरान्ह समापन सत्र के संदेश उद्बोधन में प्रो संगीता प्रणवेन्द्र "विश्व कल्याण का भारतीय दृष्टिकोण" विषय पर संबोधित करेगी। प्रतिभागियों व वॉलंटियर्स को सम्मानित किया जायेगा।

पुस्तक विमोचन

चन्द्रेश टेलर की पुस्तक "वर्तमान में हनुमान", मुरारी गुप्ता की पुस्तक "सुगंधा", उमेश कुमार चौरसिया की "मैं विवेकानन्द हूं" और इंदु मणि की "लेटर टू एडिटर" का विमोचन किया जायेगा।

राज पुस्तक मण्डपम्

फेस्ट में विशेष रूप से राज पुस्तक मंडप सजाया गया, जिसमें पुस्तक प्रेमियों के लिए हजारों पुस्तकें उपलब्ध रही। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय का उपक्रम नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) भी मेवाड़ टॉक फेस्ट में सम्मिलित हुआ। एनबीटी के साथ इण्डस स्क्रॉल्स प्रेस, गरूड़ प्रकाशन, ब्लू वन इंक, सुरूचि प्रकाशन, शांति पब्लिशर्स इंडिया, विचार विनिमय प्रकाशन, आई व्यू एंटरप्राइजेज, ज्ञान गंगा प्रकाशन, प्रभात प्रकाशन, अर्चना प्रकाशन भोपाल, लोकहित लखनऊ व आकाशवाणी प्रकाशन जालंधर सहित कई अन्य प्रकाशकों की पुस्तकें रही। हर पाठक के लिए पुस्तक मंडप में विविध प्रकार जैसे बाल साहित्य के साथ ही युवाओं के लिए प्रतियोगी परीक्षा की पुस्तकें, विज्ञान, तकनीकि, साहित्यिक पुस्तके, आत्मकथाएँ धार्मिक, जीवनी-आत्मकथाएँ कहानियां और वैचारिकी पुस्तकें सम्मलित थी। ये पुस्तकें हिन्दी, अंग्रेजी, गुजराती, पंजाबी सहित कई भाषाओं में उपलब्ध रही।

लेखक की बात

मुक्ताकाश मैदान में "लेखक की बात" सत्र में राजसमंद के पुस्तक प्रेमियों व पाठकों को लेखकों से बातचीत करने का अवसर प्राप्त मिला और साथ ही लोग लेखकों से अपनी क्रय की हुई पुस्तक पर उनके हस्ताक्षर करवाएं।

संविधान के 75 वर्ष पर प्रदर्शनी- संविधान लागू होने के 75 वर्ष होने पर प्रदर्शनी लगाई गई। प्रदर्शनी में संविधान में शामिल किए गए 22 चित्रों की बारीकियां, संविधान के उस हिस्से में शामिल किए जाने के महत्व के साथ दिखाया गया हैं। संविधान की मूल प्रति में लगभग हर अध्याय के आरंभ में कोई न कोई चित्र छापा गया हैं।

विशेष आकर्षण

प्रभु श्री द्वारकाधीश जी की छवि ने विज़िटर्स को श्रद्धावनत किया। मोलेला आर्ट का लाइव कलाकृति निर्माण हुआ। ठाकुर जी के श्रृंगार सामग्री, मोलेला आर्ट का लाइव कलाकृति निर्माण, जनजाति महिलाओ द्वारा निर्मित उत्पाद, चाय के वैकल्पिक उत्पाद, नाश्ते आदि की भी स्टॉल लगी। नगर के राघवम ग्रुप द्वारा राजस्थानी गीतों पर बैंड परफॉर्मेंस दी गई।

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