उदयपुर। तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्य महाश्रमण का श्री मेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कांफ्रेंस के तत्वावधान में भव्य मेवाड़ स्तरीय स्वागत समारोह केसरियाजी में हजारों श्रावक श्राविकाओं की उपस्थिति में आयोजित किया गया।
श्री मेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कांफ्रेंस के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि आचार्य महाश्रमण 20 नवम्बर को प्रात: विहार कर भगवान ऋषभदेव की पुण्य धरती की केसरियाजी स्थित कीका भाई धर्मशाला में प्रवास के लिए पधारे। वहां आयोजित मेवाड़ स्तरीय स्वागत समारोह में मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार के सहकारिता मंत्री गौतम दक, विशिष्ट अतिथि उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन, समारोह अध्यक्ष भीलवाड़ा के प्रसिद्ध उद्योगपति प्रवीण ओस्तवाल, उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा, खेरवाड़ा के पूर्व विधायक नानालाल अहारी, सुंदरलाल भानावत, जिनेन्द्र शास्त्री, तुषार मेहता, कीका भाई ट्रस्ट के ट्रस्टी गजेन्द्र भंसाली, राज लोढ़ा,उपस्थित थे साथ ही ऋषभदेव समाज के भूपेंद्र जैन, प्रदीप जैन, हेमंत बोहरा, शीतल भानावत, धनपाल भंवरा, कृष्ण चंद्र शर्मा, नारायण लाल भंडारी मौजूद रहे।
फत्तावत ने बताया कि मेवाड़ कांफ्रेंस द्वारा आचार्य महाश्रमण से मेवाड़ में किसी भी क्षेत्र में चातुर्मास कराने की पुरजोर अर्ज की। साथ ही मेवाड़ कांफ्रेंस को एक माह की सेवा का अवसर प्रदान कराने पर आचार्य महाश्रमण के प्रति मेवाड़ के श्रावक समाज की तरफ से कृतज्ञता ज्ञापित की। आचार्य महाश्रमण का अपनी धवल वाहिनी के साथ अगला पड़ाव 21 नवम्बर को परसाद में होगा।
आचार्य महाश्रमण ने विहार के बाद उपस्थित जन समुदाय को अमृत देशना देते हुए फरमाया कि आज हमारे जैन धर्म की वर्तमान चौबीसी के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की पावन धरती केसरियाजी में आना हुआ है। 42 वर्षों के बाद तेरापंथ के किसी आचार्य का यहां आना हुआ है।धर्म को उत्कृष्ट मंगल कहा गया है। अहिंसा, संयम और तप धर्म को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म को माने पर मानव धर्म की पालना अवश्य करे। मेवाड़ का तेरापंथ के साथ गहरा संबंध है। एक तरह से तेरापंथ की उदगम स्थली भी मेवाड़ ही है। बाहर देखने के साथ साथ व्यक्ति को अपने भीतर भी देखना चाहिए। नवकार मंत्र ,भक्तामर स्त्रोत आदि अनेक ऐसे मंत्र है जो पूरे जैन समाज में एकता के सूत्र है। अणुव्रत के सिद्धांत का पालन करने में जैन या अज़ैन का कोई बंध नहीं है। सभी जीवो के साथ मैत्री का व्यवहार रहना चाहिए। अहिंसा केवल धर्म नहीं एक नीति है। वैसे भी आगम में अहिंसा को परम धर्म बताया गया है।
साध्वी प्रमुखा विश्रुत विभा ने अपने वक्तव्य में कहा कि जिन दर्शन में सबसे महत्वपूर्ण बात है वह है सम्यक दर्शन। सम्यक दर्शन से व्यक्ति सकारत्मक ज्ञान को प्राप्त कर सकता है। व्यक्ति की दृष्टि निर्मल और साफ होती है तब सम्यकत्व की प्राप्ति करना संभव हो सकता है। राजस्थान सरकार के सहकारिता मंत्री गौतम दक ने कहा कि निज पर शासन फिर अनुशासन के सूत्र को पढक़र और जीकर मैं बड़ा हुआ हु। जैन समाज की तरफ पूरा विश्व देखता है। जैन नाम की गूंज ना केवल भारत में वरन पूरी दुनिया में गूंज रहा है। शहर विधायक ताराचंद जैन, प्रवीण ओस्तवाल ,पंकज ओस्तवाल,गजेन्द्र भंसाली, राज लोढ़ा ने भी स्वागत समारोह में आचार्य महाश्रमण के प्रति अपनी भावनाएं रखे।
आज के कार्यक्रम में सहकारिता मंत्री गौतम दक, उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन, प्रसिद्ध उद्योगपति प्रवीण ओस्तवाल, आबकारी विभाग के अतिरिक्त आयुक्त ओपी जैन, कीका भाई धर्मशाला के ट्रस्टी गजेन्द्र भंसाली, राज लोढ़ा का साहित्य समर्पण, उपरना और स्मृति चिन्ह से अभिनंदन राजकुमार फत्तावत, पंकज ओस्तवाल, महेंद्र कोठारी, देवेंद्र कच्छारा, भूपेंद्र चोरडिय़ा, बलवंत रांका, कमलेश कच्छारा, दीपक सिंघवी, विनोद मांडोत, सुनील मुनोत, अनिल सुराणा, अरुण मेहता, गणेश कच्छारा ने किया।
कार्यक्रम में मेवाड़ कांफ्रेंस के महामंत्री बलवंत रांका ने स्वागत की रस्म अदा की। साथ ही केलवा के जागृत कोठारी द्वारा मेवाड़ यात्रा के गीत का संघान किया। मेवाड़ कांफ्रेंस महिला मंडल द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। अंत में उपस्थित जन समुदाय को मंगल पाठ का श्रवण करवाया गया।
मार्ग सेवा में किशनलाल डागलिया, राजकुमार फत्तावत, भूपेंद्र चोरडिय़ा , बलवंत रांका ,कमलेश कच्छारा, , महावीर मेडतवाल, ज्ञान बडोला, हर्ष नवलखा, कमल बीकानेरिया, शांतिलाल कोठारी, अनिल बडोला, अंकित परमार, ज्ञानचंद मादरेचा, चंद्रेश फत्तावत,सुनील मुनोत ,जय चौधरी,जय पोरवाल, विक्रम पगारिया, वैभव चौधरी,अक्षत पोरवाल सहित अनेकों कार्यकर्ता आचार्य महाश्रमण की मार्ग सेवा में सहभागी रहे।
