
उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में शुक्रवार को तपस्वीरत्न आचार्य भगवंत पद्मभूषणरत्न सुरिश्वर महाराज, साध्वी भगवंत कीर्तिरेखा महाराज आदि ठाणा की निश्रा में नो दिवसीय नवपद आयम्बिल ओली की शाश्वती आराधना का शुभारंभ हुआ।
महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि शुक्रवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। वहीं नो दिवसीय नवपद की आयंबिल ओली सामूहिक आयोजन शुरू हुए। प्रात: 10 बजे प्रवचन में प्रन्यास प्रवर ऋषभ रत्न विजय महाराज ने बताया कि शुभ आलंबनों की मन पर शुभ असर होती है तथा अशुभ आलम्बनों से मन दूषित बनता है। नव पद में रहे हुए सभी पद सर्वोत्कृष्ट शुभ आलंबन माने गए है। इन पदों में सर्वप्रथम पद अरिहंत यद है। वे स्वार्थी नहीं अपितु परमार्थिक जीवन जीने वाले बताये है। कृतज्ञता, करुणा और कोमलता अरिहंत की वास्तविक पहचान है। 18 दोषों से रहित तथा 12 गुणों से सुशोभित अरिहंत भगवान राग - द्वेष से रहित होते है अत: उन्हें वीतराग परमात्मा भी कहेते है। इस अवसर पर नवयद आयम्बिल तप का नबपद महत्त्त्व बताते गुरु भगवत ने कहाँ कि लय के प्रभाव से सुरक्षा की प्राप्ति, संपत्ति की संप्राप्ति एवं सद्गति के द्वारों का उद्घाटन होता है। इस अवसर पर आचार्य भगवंत के द्वारा सामुहिक नियम प्रतिज्ञा करवाई गई। जिसमें दिनमें एक बार लुक्खा आहार इत्यादि बोईल किया हुआ वापरना होता है। करीबन सवा सो जितने आराधक इस तपाराधना में बड़े उत्साह के साथ जुड़े है। नवपद ओली के दौरान नो दिनों तक शाम को प्रतिदिन 7 से 7.30 प्रभु भक्ति एवं प्रात: 9.45 से 11 बजे तक प्रवचन होंगे । इस अवसर पर कुलदीप नाहर, सतीश कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर पामेचा, राजेश जावरिया, चन्द्र सिंह बोल्या, दिनेश भण्डारी, अशोक जैन, दिनेश बापना, कुलदीप मेहता, नरेन्द्र शाह, चिमनलाल गांधी, गोवर्धन सिंह बोल्या आदि मौजूद रहे।