जिनवाणी का अवलम्बन श्रद्धा से पूर्ण हो : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर

Update: 2024-09-30 09:56 GMT

उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास काल के दौरान महाभारत पर प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे है। महाभारत के हर एक किरदार ने समाज को क्या दिशा निर्देश दिया उसके बारे में विस्तार से व्याख्या कर श्रावकों का मन मोह लिया है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि सोमवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।

नाहर ने बताया कि सोमवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने महाभारत पर आधारित चातुर्मासिक प्रवचन में कहा कि संसार अरण्य से निकल कर मोक्ष में जाने का एकाधिकार केवल दुर्लभ मनुष्य गति में है। मानव भव में जीव इतना समर्थ होता है कि जन्म-मरण की बेडिय़ा तोड सके पर यह संभव तभी है जब आत्मा को जिनवाणी का अवलम्बन मिले, उस पर श्रद्धा निरन्तर दृढ़तर होती जाए। पुण्योदय से प्राप्त विपूल योग सामग्री भी उसे बोझ रूप लगे, उससे छूटकर मोझ जाने की उत्कट अभिलाषा जागृत हो जाए। मोहनीय कर्म इस इच्छा में सबसे बड़ा बायक है। इस कर्म के दो भेद है 1 दर्शन मोहनीय ( मिध्यात्व) 2- चारित्र मोहनीय (अविरती) मिध्यात्व के उदय से आत्मा शुद्ध तत्त्व को समझ नहीं पाता, अविरती के उदय से सम्यक् आराधना नहीं कर सकता। यह विचार विवेचन परमात्मा महावीर की देशना उत्तराध्ययन सूत्र के माध्यम से बताई। हमें जिनवाणी का श्रवण श्रद्धा पूर्वक भक्ति पूर्वक बहुमान पूर्वक श्रवण करना चाहिए। श्रवण के पश्चात उस पर चिंतन-मनन करना चाहिए। आत्मा को अच्छे विचारों में, मन को अच्छे चिंतन में जोडने से आत्मा की उध्र्व गति होती है। और आत्मा का कल्याण होकर उच्च स्थान पर निवास होता है।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि आयड़ तीर्थ में 9 अक्टूबर से नवपद जी की आयंबिल ओली सामूहिक रूप से मनाई जाएगी। जिसमें समग्र जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक समाज को आने का आव्हान किया।

इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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