एक करोड़ उपवास करने से जो फल मिलता है उतना पुण्य एक बार सम्मेद शिखर की यात्रा करने से मिलता है : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर

Update: 2024-09-29 09:47 GMT

उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास काल के दौरान महाभारत पर प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे है। महाभारत के हर एक किरदार ने समाज को क्या दिशा निर्देश दिया उसके बारे में विस्तार से व्याख्या कर श्रावकों का मन मोह लिया है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि रविवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर संघ की निश्रा में आयड़ तीर्थ पर गीत-संगीत की मधुर स्वर लहरियों के साथ सम्मेद शिखर तीर्थ की भावयात्रा का आयोजन किया गया। सुबह 9.३० बजे को भावयात्रा शुरू 12 बजे जिनकी पूर्णाहुति हुई और तत्पश्चात पधारे हुए श्रावक-श्राविकाओं का स्वामी वात्सल्य का आयोजन हुआ। बड़ी संख्या में श्रावक समाज इस भावयात्रा में शामिल हुए।

नाहर ने बताया कि सोमवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने सम्मेद शिखर की महिमा का विस्तृत विवरण किया और कहां कि सम्मेद शिखर तीर्थ की तीर्थ स्थापना आदिनाथ प्रभु के समय आज से असंख्यक वर्ष पहले भरत चक्रवर्ती द्वारा हुई। अभी तक में इस तीर्थ के इक्किस उद्धार हुए। इनमें अद्भुत बात यह है कि एक उद्धार महाविदेह क्षेत्र के राजा ने करवाया और एक उद्धार धात की खण्ड के राजाने भी करवाया। एक करोड़ उपवास करने से जो फल मिलता है उतना पुण्य फल छरी पालनपूर्वक सम्मेद शिखर की यात्रा करने से मिलता है। इस भावयात्रा के दौरान सिंघवी परिवार को इस आसोज मास की आयंबिल ओली कराने का आदेश भी दिया गया।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि आयड़ तीर्थ में 9 अक्टूबर से नवपद जी की आयंबिल ओली सामूहिक रूप से मनाई जाएगी। जिसमें समग्र जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक समाज को आने का आव्हान किया।

इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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