जहां राम का निवास वही रामायण : महाराज

Update: 2025-10-05 13:36 GMT

 उदयपुर । हिरण मगरी सेक्टर 14 स्थित रुद्रेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण जेके ब्लॉक में संगीतमय रामकथा के तीसरे दिन पुष्कर दास महाराज ने कहा कि जहां राम का निवास हो वही रामायण है। सीता जी का पारिवारिक धर्म,भरत भाई का प्रेम,लक्ष्मण की सेवा,हनुमान जी की भक्ति से हमें यही सीखना चाहिए इन सभी ने सेवा,प्रेम,पारिवारिक,भक्ति का परिचय दिया द्य राम जैसा बेटा सभी चाहते है। सीता जैसी पत्नी सभी चाहते। लक्ष्मण जैसा भाई सभी चाहते द्य हनुमान जैसा सेवक सभी चाहते। पर इनके गुणों को अर्जन कोई नहीं करना चाहता । रामायण पढ़ने से गुण हमारे अंदर आते है। महाराज ने हनुमान की व्याख्या करते हुए कहा जिसने अपने मान का हनन किया वही हनुमान । सत्संग में मन की धुलाई होती है। बिना सत्संग विवेक नहीं होता विवेक के बिना सत्य असत्य का ज्ञान नहीं होता। कथा सत्संग इंसान को सुधारने के लिए है, जो रामायण में डुबकी लगाएगा वो भव से पार हो जाएगा। कथा में 3 घंटे के लिए मन एकाग्र होकर रहता है। जो कथा को ध्यान से सुनेगा उसका मन रूपी हाथी दुनिया से ऊपर उठेगा। सत्संग एक सरोवर है , रामायण पढऩे का बहुत पुण्य है। भगवान शिव राम की कथा एकाग्र होकर श्रवण करते है परंतु सती का ध्यान कथा में नहीं रहता। रामायण राम का घर है, इसलिए इसको सिर पर धारण किया जाता है। रामायण हमारा मस्तक है, आगे भोले बाबा सती को लेकर अगस्त ऋषि के आश्रम में कथा श्रवण करने जाते है। भोले बाबा तो कथा को आदर देते है परन्तु सती कथा को ध्यान से नहीं सुनती। प्रभु राम जी ओर सीता  की परीक्षा करती है। परीक्षा करने के कारण वह भोले बाबा से दूर हुई। रामायण में सती को पीहर पक्ष का अभिमान था द्यअभिमान पाप की जड़ है और जब तक पाप नहीं मिटेंगे तब तक हरि से नहीं जुड़ेंगे द्य तभी रामायण में चौपाई आती है "दया धरम का मूल है पाप मूल अभिमान"। रामायण अहंकार ओर अभिमान को दूर करती है ।  

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