आरटीई एडमिशन विवाद: हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब,40 हजार निजी स्कूलों में प्री-प्राइमरी एडमिशन को लेकर बड़ा सवाल
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के करीब 40 हजार निजी स्कूलों में आरटीई (Right to Education) के तहत प्री-प्राइमरी और अन्य क्लास में एडमिशन के मामले में राज्य सरकार से दो टूक जवाब मांगा है। अदालत ने पूछा है—“किस कानून के तहत निजी स्कूलों को एडमिशन देने के निर्देश जारी किए गए? और अब फीस का पुनर्भुगतान क्यों नहीं किया जाएगा?”
19 अगस्त को अगली सुनवाई
जस्टिस अवनीश झिंगन और जस्टिस बलजिंदर सिंह संधू की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार और निजी स्कूलों की अपीलों पर संयुक्त सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने 19 अगस्त तक सक्षम अधिकारी से लिखित स्पष्टीकरण पेश करने को कहा है।
मामला कैसे शुरू हुआ
18 जुलाई 2023 को हाईकोर्ट की एकलपीठ ने आदेश दिया था कि शैक्षणिक सत्र 2023-24 में प्री-प्राइमरी के एंट्री लेवल (नर्सरी और पहली कक्षा) में आरटीई के तहत बच्चों को एडमिशन दिया जाए।इस आदेश को निजी स्कूलों ने चुनौती दी है।राज्य सरकार ने भी अपील दायर कर एकलपीठ द्वारा सरकार के कुछ प्रावधान रद्द करने के फैसले पर आपत्ति जताई है।
राज्य सरकार की आपत्तियां
फीस का पुनर्भुगतान – सरकार कहती है कि एकलपीठ ने फीस रिफंड न करने वाले प्रावधान को गलत तरीके से रद्द किया।एडमिशन लेवल – सरकार चाहती है कि चार लेवल पर एडमिशन हो, जबकि एकलपीठ ने सिर्फ नर्सरी और पहली कक्षा में ही एडमिशन का आदेश दिया।
अगला कदम
अब 19 अगस्त को यह साफ होगा कि राज्य सरकार किस कानूनी आधार पर निजी स्कूलों को आरटीई एडमिशन के निर्देश दे रही है और फीस रिफंड पर उसकी क्या स्थिति है।
