नवजातों की जिंदगियां हो गई राख़

By :  vijay
Update: 2024-11-16 13:02 GMT
नवजातों की जिंदगियां हो गई राख़
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नवजातों की जिंदगियां हो गई राख़।

45 बचे, दस नवजात बेकसूर खाक,

किसे दोष दे हम किसका था हाथ।

झांसी प्रशासन जांच में जुटा जरूर,

रोते बिलखते भी अभिभावकों का,

आप कैसे करोगे उनका दु:ख दूर।

45 बचे, दस नवजात बेकसूर खाक,

किसे दोष दे हम किसका था हाथ।

हर माँ ने नौ महीने किया था इंतज़ार,

लाऊंगी मैं पालना करूंगी खूब प्यार!

देखो लापरवाही से ख्वाब हुआ तार-तार।

45 बचे, दस नवजात बेकसूर खाक,

किसे दोष दे हम किसका था हाथ।

क्या होगा जांच से हम पर हुआ वज्रपात,

कैसे सह पाएंगे हम इतना बड़ा आघात!

आँगन में खुशियां पाने जागे कितनी रात।

45 बचे, दस नवजात बेकसूर खाक,

किसे दोष दे हम किसका था हाथ।

ये देखों नवजात आग के हवाले हुए,

नन्हें बच्चों की जिंदगियां हो गई राख़।

संजय एम. तराणेकर

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