14 मई - छत्रपति संभाजी भोंसले जयंती

14 मई - छत्रपति संभाजी भोंसले जयंती
तेजस्वी संभाजी भोंसले, बुलंद थे होंसले...!
मराठा साम्राज्य के तेजस्वी संभाजी भोंसले,
वे एक ऐसे युगपुरुष जिनके बुलंद थे होंसले।
हर भारतीय के हृदय में शौर्य-धर्म की ज्वाला,
हुई प्रज्वलित प्रेरणा कर रहीं थी काम आला।
महाराज का जीवन तपस्वी योद्धा व शासक,
हिंदवी स्वराज्य के प्रति समर्पण का उपासक।
मराठा साम्राज्य के तेजस्वी संभाजी भोंसले,
वे एक ऐसे युगपुरुष जिनके बुलंद थे होंसले।
"मराठा साम्राज्य" ने मुगलों को किया परास्त,
स्वराज्य की नींव को अडिग रख हुए विश्वस्त।
उनका युद्धकौशल एवं प्रशासनिक दूरदर्शिता,
साहित्यिक योगदान, धर्म के प्रति अटूट निष्ठा।
मराठा साम्राज्य के तेजस्वी संभाजी भोंसले,
वे एक ऐसे युगपुरुष जिनके बुलंद थे होंसले।
जीजाबाई ने संभाला लालन-पालन दायित्व,
हुआ मार्गदर्शन निखरा संभाजी का व्यक्तित्व।
कोंकण से अर्धांगिनी येसुबाई का मिला साथ,
जिससे मराठा साम्राज्य के मज़बूत हुए हाथ।
मराठा साम्राज्य के तेजस्वी संभाजी भोंसले,
वे एक ऐसे युगपुरुष जिनके बुलंद थे होंसले।
नौ वर्ष आयु में औरंगजेब द्वारा किया बंधक,
उनकी बुद्धिमत्ता साहस से बने वे निष्कंटक।
ये संभाजी का शासन युद्धों व सैन्य अभियान,
रचा स्वर्णिम अध्याय मराठाओं का रखा मान।
- संजय एम तराणेकर
(कवि, लेखक व समीक्षक)
इन्दौर-452011 (मध्यप्रदेश)