ना समझा करों गरीब...!

Update: 2025-04-16 13:03 GMT
ना समझा करों गरीब...!
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खुद को ना समझा करों गरीब,

क्योंकि तुम हो बहुत ही शरीफ।

तुम्हें कभी पर्याप्त नहीं मिलता,

कम हैं कमाई संतोष है खिलता।

ना किया करों गरीबी का ऐलान,

ईश्वर-अल्लाह सभी हैं मेहरबान।

खुद को ना समझा करों गरीब,

क्योंकि तुम हो बहुत ही शरीफ।

बताओ तुम्हारे पास क्या नहीं है,

इस ज़िन्दगी का एहसास नहीं है।

सांस ले रहें हो ये पर्याप्त नहीं है,

मांगकर ना लेना भाग्य में नहीं हैं।

खुद को ना समझा करों गरीब,

क्योंकि तुम हो बहुत ही शरीफ।

वह आदत छोड़ो कि पीड़ित हो,

सबसे बड़ी नेमत हैं जीवित हो।

तुम सिर्फ खुद से ही रूठें हुए हो,

मानसिक स्थिति बदलों डटे रहो।

संजय एम तराणेकर

(कवि, लेखक व समीक्षक)

इन्दौर-452011 (मध्यप्रदेश)

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