लोक-सेवकों‘ं के यहां भरा भण्डार है...?
By : vijay
Update: 2025-02-01 11:46 GMT
‘लोक-सेवकांे‘ं के यहां भरा भण्डार है,
सरकारी नौकरी की महिमा अपार है।
भ्रष्टतंत्र की दीमक करती अपना काम,
जमा होती धन-सम्पदा होता है नाम।
कुबेर मानों स्वयं भर देते है खजाना,
यहीं जानता आम आदमी को बजाना।
‘लोक-सेवकांे‘ं के यहां भरा भण्डार है,
सरकारी नौकरी की महिमा अपार है।
ऑफिस समय पर न जाना व्यापार है,
हाँ, लक्ष्मी प्रसन्न खरीद ली कार है।
देवी-देवता, पीर-फकीरों का आशीष,
दे जो मिली-भगत से झुकाते हैं शीष।
‘लोक-सेवकांे‘ं के यहां भरा भण्डार है,
सरकारी नौकरी की महिमा अपार है।
कार में कई किलो सोना,नगदी माया,
विदेशों में भी मस्ती बेड़ा पार लगाया।
अनुकंपा नियुक्ति पर भी हैं मालामाल,
भ्रष्टाचार की जननी का सपूत लाल।