धनोप माता मंदिर पर दूर-दूर से दर्शन करने पहुंचते हैं श्रद्धालु, 7 चौकी आने पर, भूत प्रेत व अन्य बीमारियों से पाते हैं छुटकारा
पीपलूंद (दुर्गेश रेगर)। भीलवाड़ा जिले में स्थित फूलियाकलां उपखंड क्षेत्र से करीब 10 किलोमीटर दूर धनोप गांव में स्थित ऊंचे पर्वत ( टिले ) पर विराजमान धार्मिक, पौराणिक शक्तिपीठ धनोप माता का मंदिर स्थित है। जहां पर सोमवार को दुर्गाष्टमी पर हजारों श्रद्धालुओं की काफी भीड़ धनोप माता के ढोक दर्शन करने के लिए आसपास के क्षेत्र के अलावा दूर-दूर से श्रद्धालु धार्मिक, पौराणिक शक्तिपीठ धनोप माता मंदिर प्रांगण पर पहुंचते हैं। जहां पर मातारानी को मुठडी, नारियल, धूप, अगरबत्ती, पकवान, मिठाई, इत्यादि का भोग लगाकर श्रद्धालु अपने परिवार की सुख समृद्धि व खुशहाली एवं अनेक मनोकामना के साथ श्रद्धालु हाथ जोड़कर प्रार्थना व ढोक दर्शन करते हैं। श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं, आकांक्षाओं, इच्छाओं, एवं जन्म और विवाह संबंधों को लेकर माता से पाती मांगते हैं।
मान्यता है कि श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए गए प्रसाद पर यदि माता रानी प्रसन्न होकर वे स्वीकृति स्वरूप चढ़ाए गए प्रसाद पर पुष्प गिरा देती है। तो समझो माता की अनुमति मिल जाती है। माता के दरबार में 7 चौकी आने पर बाहरी हवाओं और भूत-प्रेत से पीड़ित रोगियों को छुटकारा मिलता है। इसके अलावा कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीज भी माता रानी के दरबार में अपनी अर्जी लेकर आते हैं। शक्तिपीठ धनोप माता का मंदिर आस्था का केंद्र होने की वजह से अष्टमी को सुबह से ही मंदिर परिसर पर दिनभर श्रद्धालुओं का आने जाने का तांता लगा रहता है। वही पर मंदिर प्रांगण पर लगी दुकानों से श्रद्धालु खरीदारी करते हैं।