मांडल। जिला अस्पताल के बाद सबसे बड़े स्वास्थ्य केंद्र के रूप में मांडल उपजिला अस्पताल की हालत चिंताजनक हो चुकी है। यहां इलाज कराने आने वाले हर मरीज के मन में यही डर बना रहता है कि कहीं उसे भी रेफर न कर दिया जाए। अस्पताल में 22 स्वीकृत पदों के बावजूद केवल 8 डॉक्टर ही कार्यरत हैं, जबकि रोजाना 1000 से अधिक मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं।
विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी और बढ़ते मरीजों के दबाव ने इस अस्पताल को एक रेफर सेंटर में तब्दील कर दिया है। मरीजों का कहना है कि यहां पहुंचने के बाद उन्हें इलाज की बजाय सीधा जिला अस्पताल भेज दिया जाता है।
पूर्व में यह अस्पताल एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) था और तब भी केवल 6-7 डॉक्टर कार्यरत थे। उपजिला अस्पताल का दर्जा मिलने के बावजूद व्यवस्थाओं में कोई खास सुधार नहीं हुआ। शुरुआत में यहां 16 डॉक्टर तैनात थे, लेकिन अब यह संख्या घटकर सिर्फ 7 रह गई है। रेडियोलॉजिस्ट का पद खाली है, जिससे सोनोग्राफी मशीन होने के बावजूद जांच की सुविधा बंद है। हाल ही में डॉ. विजय प्रकाश माहेश्वरी और डॉ. दिव्यांशु का तबादला होने से हालात और बिगड़ गए हैं।
हर माह इतने मरीज होते हैं रेफर
* ट्रॉमा केस: 150
* कार्डियक केस: 60
* डिलीवरी केस: 15
* स्किन रोगी: 90
नर्सिंग स्टाफ की भी भारी कमी है। वरिष्ठ नर्सिंग ऑफिसर के चार पद लंबे समय से खाली हैं, जिससे भर्ती मरीजों की देखभाल पर असर पड़ रहा है।
गंभीर कमियां जो मांडल अस्पताल को बना रहीं बेबस:
आईसीयू, वेंटिलेटर और ब्लड बैंक की सुविधा नहीं
एनेस्थेटिस्ट की अनुपलब्धता से आपातकालीन ऑपरेशन संभव नहीं
केवल 7 डॉक्टरों पर 24 घंटे की ड्यूटी का दबाव
तीन वर्षों से किसी नए डॉक्टर की नियुक्ति नहीं हुई
जिला अस्पताल रेफर किए गए मरीज रास्ते में दम तोड़ रहे हैं
अगर स्थिति नहीं सुधरी, तो संकट और गहराएगा
विशेषज्ञ डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की त्वरित नियुक्ति नहीं हुई तो आने वाले समय में मांडल उपजिला अस्पताल सिर्फ कागजों पर अस्पताल रह जाएगा। हजारों मरीजों की जान को खतरा बना रहेगा।
इन विशेषज्ञों की है सबसे अधिक आवश्यकता:
आर्थोपेडिक: प्रतिदिन 100 से अधिक मरीज
रेडियोलॉजिस्ट: मशीन होते हुए भी सुविधा नहीं
एनेस्थेटिस्ट: सर्जरी और दुर्घटना के केस ज्यादा
डर्मेटोलॉजिस्ट: हर माह 90 मरीज रेफर
कार्डियोलॉजिस्ट: हर माह 60 मरीज रेफर
मांडल उपजिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति गंभीर होती जा रही है। शासन और प्रशासन को तुरंत संज्ञान लेकर आवश्यक नियुक्तियां करनी होंगी, वरना आमजन को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
