रूस से तेल खरीदना भारत के लिए सस्ता सौदा नहीं', जयशंकर ने बताई दोस्ती कायम रखने की वजह

By :  vijay
Update: 2024-12-08 12:29 GMT

रूस-यूक्रेन के बीच पिछसे ढाई वर्षों से संघर्ष जारी है। इस संघर्ष के बीच पश्चिम देशों ने यूक्रेन का समर्थन करते हुए रूस का बहिष्कार किया। हालांकि, इस मामले में भारत ने रूस के साथ अपनी दोस्ती बरकरार रखी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में रूस का दौरा किया था। इसके साथ ही भारत ने रूस से तेल खरीदना भी जारी रखा। रूस से तेल खरीदने को लेकर शनिवार को जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर से सवाल किया गया, तो उन्होंने इसका करारा जवाब दिया। उन्होंने पूछा कि क्या विश्व के पास भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने का कोई बेहतर विकल्प है? उन्होंने यह बयान 22वें दोहा फोरम के पैनल नए युग में संघर्ष समाधान के दौरान दिया।

रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा भारत

रूस से तेल खरीदने के फैसले का बचाव करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि रूस से तेल खरीदना भारत के लिए सस्ता सौदा नहीं है। यह देश में ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने का एक समझौता है। उन्होंने कहा, "हम तेल खरीदते हैं। यह सच है, लेकिन यह सस्ता नहीं है। क्या आपके पास इससे बेहतर डील है?" बता दें कि रूस भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बन चुका है।

रूस-यूक्रेन संघर्ष पर जयशंकर ने दी प्रतिक्रिया

रूस-यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष पर प्रतिक्रिया देते हुए जयशंकर ने बताया कि इस युद्ध को युद्धभूमि पर नहीं सुलझाया जा सकता है। उन्होंने कहा, "दोनों पक्षों को संघर्ष छोड़कर वार्ता की मेज पर लौटना होगा। भारत इसे संभव बनाने के लिए प्रयास कर रहा है।" विदेश मंत्री ने आगे कहा, "हम रूस जाते हैं तो राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात करते हैं। जब यूक्रेन जाते हैं तो वोलोदिमीर जेलेंस्की से बात करते हैं। हम दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति के सूत्र तलाशने की कोशिश कर रहे हैं।"

जयशंकर ने यह स्पष्ट किया कि रूस-यूक्रेन की युद्ध में भारत मध्यस्थता का काम नहीं कर रहा। उन्होंने कहा, "हम मध्यस्थता का काम नहीं कर रहे हैं। हम बातचीत कर रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे कि दोनों को पार्दर्शी तरीके से जानकारी दी जाए।" बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल की शुरुआत में यूक्रेन दौरे पर गए थे। उन्होंने राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की और भारत के शांति के पक्ष में रहने की प्रतिबद्धता दोहराई।

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