पार्षद–सरपंच चुनाव के लिए 10वीं पास अनिवार्य करने की तैयारी, अनपढ़ों पर लगेगा प्रतिबंध; सीएम को भेजा गया प्रस्ताव

Update: 2025-12-25 07:06 GMT

जयपुर। राजस्थान में अगले साल होने वाले पंचायतीराज और शहरी निकाय चुनावों को लेकर बड़ा बदलाव प्रस्तावित किया गया है। राज्य सरकार ने इन चुनावों में शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य करने की तैयारी कर ली है। प्रस्ताव के अनुसार, अब अनपढ़ व्यक्ति पार्षद, सरपंच, मेयर, सभापति, नगर पालिका अध्यक्ष, प्रधान, जिला परिषद सदस्य और पंचायत समिति सदस्य का चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।

शहरी विकास एवं आवास (यूडीएच) मंत्री और पंचायतीराज मंत्री की ओर से इस संबंध में प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेज दिया गया है। मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी। 10वीं पास होना होगा जरूरी

प्रस्ताव के अनुसार—सरपंच पद के लिए कम से कम 10वीं पास होना अनिवार्य होगा। पार्षद पद के लिए 10वीं या 12वीं में से कोई एक योग्यता तय करने का सुझाव दिया गया है। यदि यह प्रस्ताव लागू होता है तो आगामी निकाय और पंचायतीराज चुनावों में अनपढ़ उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

कानून में करना होगा संशोधन : पंचायतीराज और शहरी निकाय चुनावों में शैक्षणिक योग्यता लागू करने के लिए पंचायतीराज अधिनियम और नगरपालिका कानून में संशोधन करना होगा। मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद इसके लिए अलग-अलग विधेयक लाकर विधानसभा के बजट सत्र में पारित किए जा सकते हैं।

यूडीएच मंत्री का बयान : यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बताया कि शहरी निकाय चुनावों में शैक्षणिक योग्यता लागू करने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि कई संगठनों और जनप्रतिनिधियों की ओर से यह मांग की जा रही थी। अब अंतिम फैसला मुख्यमंत्री स्तर पर लिया जाएगा।

पहले भी लागू हो चुका है नियम : गौरतलब है कि वर्ष 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने पंचायत और निकाय चुनावों में शैक्षणिक योग्यता लागू की थी। उस समय— सरपंच के लिए आठवीं पास, टीएसपी क्षेत्र में पांचवीं पास, पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्य के लिए 10वीं पास, पार्षद और निकाय प्रमुखों के लिए 10वीं पास की योग्यता तय की गई थी।

हालांकि, 2019 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद यह प्रावधान हटा दिया गया था।

राजनीतिक असर भी रहा

2015 में लागू इस फैसले से बीजेपी को ग्रामीण क्षेत्रों में फायदा मिला था। बड़ी संख्या में बीजेपी समर्थित उम्मीदवार चुनाव जीतकर आए थे। अब एक बार फिर उसी तर्ज पर नियम लागू करने की तैयारी की जा रही है।

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