उत्तराखंड फिर बना बादल फटने का शिकार, चमोली में तबाही – 5 लोग लापता, रेस्क्यू जारी
गोपेश्वर। उत्तराखंड एक बार फिर बादल फटने की विभीषिका से दहल गया है। बुधवार देर रात चमोली जिले के नंदानगर क्षेत्र के फाली कुंतरी, सैंती कुंतरी, भैंसवाड़ा और धुर्मा गांवों के ऊपर पहाड़ी पर अचानक बादल फट गया। तेज बारिश और मलबे के सैलाब से कई घर तबाह हो गए। इस घटना में पांच लोग लापता हैं, जबकि दो लोगों को मलबे से जिंदा निकाला गया है।
नगर पंचायत नंदानगर के वार्ड कुन्तरी लगा फाली में भारी मलबा आने से छह मकान पूरी तरह जमींदोज हो गए। राहत-बचाव कार्य के लिए SDRF की टीम मौके पर पहुंच चुकी है और NDRF को भी गोचर से रवाना किया गया है। साथ ही, स्वास्थ्य विभाग ने तीन 108 एम्बुलेंस और मेडिकल टीम घटनास्थल के लिए भेज दी है।
लगातार आफत बन रही है बारिश
उत्तराखंड में मानसून के दौरान बादल फटना नई बात नहीं है, लेकिन इस बार घटनाओं की बारंबारता और तबाही ने लोगों में गहरी चिंता पैदा कर दी है। बीते दो महीनों में राज्य में कई जगह इस तरह की घटनाएं हुईं, जिनमें सैकड़ों परिवार प्रभावित हुए।
रुद्रप्रयाग (जुलाई 2024): अगस्त्यमुनि ब्लॉक के कई गांवों में बादल फटने से मकान और खेत बह गए थे। कई पुलिया और सड़कें टूट गई थीं।
पौड़ी गढ़वाल (अगस्त 2024): कोटद्वार और दुगड्डा क्षेत्र में अचानक बादल फटने से भारी मलबा आया। नदियां उफान पर पहुंच गईं और कई दुकानें व मकान जमींदोज हो गए।
देहरादून (सितंबर 2024): सहस्रधारा रोड और रायपुर क्षेत्र में हुई भारी बारिश और बादल फटने जैसी घटना से नालों में बाढ़ आ गई, जिसमें कई वाहन बह गए।
इन घटनाओं ने साफ कर दिया है कि उत्तराखंड का पहाड़ी भूगोल और जलवायु परिवर्तन मिलकर आपदा को और भयावह बना रहे हैं।
डर और बेचैनी
चमोली हादसे के बाद गांवों में मातम पसरा हुआ है। जिन परिवारों के सदस्य मलबे में दबकर लापता हो गए हैं, उनके घरों में चीख-पुकार मची है। लोग एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं, लेकिन पहाड़ की दुर्गम भौगोलिक स्थिति बचाव कार्य को चुनौतीपूर्ण बना रही है।
सरकार की चिंता और तैयारियां
राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन विभाग को अलर्ट मोड पर रखा है। मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को प्रभावितों को तत्काल राहत पहुंचाने और लापता लोगों की तलाश में पूरी ताकत लगाने के निर्देश दिए हैं।
उत्तराखंड में बार-बार हो रहे बादल फटने की घटनाएं इस ओर इशारा करती हैं कि राज्य को आपदा प्रबंधन की और सुदृढ़ व्यवस्था की तत्काल आवश्यकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते पूर्वानुमान और गांव-गांव तक चेतावनी प्रणाली नहीं पहुंचाई गई, तो आने वाले समय में तबाही और भी भयावह हो सकती है।
