भीलवाड़ा का सबसे बड़ा फॉरेक्स घोटाला: भीलवाड़ा के दिनेश जैन ने देश भर के लोगों को लगाया करोड़ों का चुना ,फर्जी कंपनियां बनाकर कराया निवेश,भगोड़ा घोषित

Update: 2025-09-21 05:35 GMT

 भीलवाड़ा हलचल। 

कपड़ा नगरी के नाम से देशभर में पहचाने जाने वाला भीलवाड़ा इस समय एक बड़े वित्तीय फर्जीवाड़े की वजह से सुर्खियों में है। यहां के वैभव नगर निवासी  दिनेश कुमार जैन (40)  पिता महावीर प्रसाद जेन  ने अपने शातिर दिमाग का इस्तेमाल कर करोड़ों रुपये का ऐसा घोटाला किया है, जिसने न सिर्फ शहर बल्कि पूरे प्रदेश और देश के हजारों निवेशकों की नींद उड़ा दी है।जैन ने  फॉरेक्स ट्रेडिंग और विदेशी निवेश  का झांसा देकर एक ऐसा मायाजाल बुना कि आम मजदूर से लेकर मध्यमवर्गीय परिवार तक उसमें फंस गए। स्थिति इतनी भयावह हो गई कि गरीब मजदूर को भी उसने अपनी कंपनी का डायरेक्टर बना दिया।अब यह पूरा मामला देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है और दिल्ली हाईकोर्ट तक को हस्तक्षेप करना पड़ा है और उसे भगोड़ा घोषित कर दिया .

 कैसे बुना गया ठगी का जाल?

दिनेश जैन नेHedrc Fund” और “Frick Market” जैसी कंपनियों की नींव रखी। नाम सुनकर ही ये कंपनियां विदेशी निवेश की तर्ज पर लगती थीं। जैन खुद को इन कंपनियों का **मुख्य डायरेक्टर** बताता और लोगों को समझाता कि अगर वे अमेरिकी डॉलर और विदेशी मुद्राओं में निवेश करेंगे तो कुछ ही महीनों में **करोड़पति** बन सकते हैं


सेमिनार और चमक-दमक का खेल

* जैन ने देशभर के बड़े-बड़े शहरों में सेमिनार आयोजित किए।

* होटल, कॉन्फ्रेंस हॉल और यहां तक कि छोटी-छोटी ढाबों पर भी मीटिंग बुलाता।

* मंच पर चमक-दमक से भरपूर प्रेजेंटेशन, डॉलर और फॉरेक्स के ग्राफ दिखाए जाते।

* लोगों को बताया जाता कि “अगर अभी निवेश करोगे, तो अगले 3 महीने में दोगुना-तिगुना फायदा मिलेगा।”

इसी चमक-दमक ने मजदूर से लेकर व्यापारी तक को अपने जाल में फंसा लिया।

 मजदूर को बना दिया डायरेक्टर

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जैन ने अपनी कंपनी में एक गरीब मजदूर को डायरेक्टर बना दिया।

* यह मजदूर खुद इस बात से अनजान था कि उसके नाम पर **फर्जी दस्तावेज़ तैयार करके करोड़ों का खेल खेला जा रहा है।**

* जांच में खुलासा हुआ है कि जैन को यह सब **अवैध कामों को छिपाने और जिम्मेदारी से बचने** के लिए किया।

“8 से 12% महीना  बड़ा  मुनाफा”

पीड़ितों की शिकायतों से सामने आया है कि जैन अपने नेटवर्क मार्केटिंग के एजेंटों के जरिए लोगों तक पहुंचता था।

* हर नए निवेशक को समझाया जाता कि अगर वह 1 लाख लगाता है तो महीने में 8 से 12 हजार रुपये पक्का मुनाफा मिलेगा।

* शुरू में छोटे निवेश पर थोड़ा-बहुत रिटर्न भी दिया जाता ताकि लोगों का भरोसा जीत सके।

* फिर उन्हें कहा जाता कि “पैसा निकालने की बजाय वापस कंपनी में लगाओ, जल्द ही यह दोगुना-तिगुना हो जाएगा।”

लोगों ने अपनी जमा पूंजी, जमीन बेचकर और रिश्तेदारों से उधार लेकर तक पैसा कंपनी में डाल दिया।

दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा आदेश , जेन भगोड़ा घोषित 



ठगी का शिकार हुए निवेशकों ने जब अदालत का दरवाजा खटखटाया तो **दिल्ली हाईकोर्ट** ने भीलवाड़ा के  वैभव नगर  G247 निवासी दिनेश कुमार जैन को घोषित भगोड़ा  अपराधी मानते हुए पीड़ितों से कहा है कि वे दिल्ली क्राइम ब्रांच में मुकदमा दर्ज करवाएं।ये ही नहीं  6 अगस्त 2025 को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मास्टरमाइंड दिनेश पिता महावीर प्रसाद जेन को भगोड़ा घोषित अपराधी मानते हुए कहा कि हेडजेक्स फंड और डीके जैन से जुड़े पूरे भारत के सभी पीड़ित अब सीधे दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच को शिकायत कर सकते हैं।



 


दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने भी यह माना है कि जैन पहले ऐसी ही कंपनियों में नौकरी करता था, जहां निवेश और फॉरेक्स का काम होता था। वहां से उसने यह सारा खेल सीखा और फिर नौकरी छोड़कर खुद की कंपनी बना ली।

  देशभर तक फैला जाल

जैन का यह घोटाला   राजस्थान के अलावा ,उड़ीसा, झारखंड, बिहार और दिल्ली  जैसे राज्यों में भी लोगों से करोड़ों रुपये वसूले।

* जयपुर के मालवीय नगर में उसने एक **एनजीओ** भी खोल रखा था।

* धर्म और समाज सेवा के नाम पर वह लोगों को प्रभावित करता और निवेश के लिए तैयार करता।

पीड़ितों का दर्द

* कई मजदूर और छोटे व्यापारी अब सड़क पर आ गए हैं।

* किसी ने बेटी की शादी के लिए रखी जमा पूंजी निवेश कर दी।

* किसी ने इलाज के लिए जुटाए पैसे लगा दिए।

* किसी ने कर्ज लेकर पैसा लगाया और अब डूब गया।

 विदेश भागने की तैयारी?

सूत्रों के अनुसार, घोटाला उजागर होने के बाद से दिनेश कुमार जैन अब विदेश भागने की फिराक में है।

* कहा जा रहा है कि उसने दुबई और सिंगापुर में ठिकाने तलाश लिए हैं।

* अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो वह आसानी से भारत से बाहर निकल सकता है।

 नेटवर्क मार्केटिंग की तर्ज पर धोखाधड़ी

जांच में यह भी सामने आया है कि जैन ने **नेटवर्क मार्केटिंग** की तर्ज पर एक टीम तैयार कर रखी थी।

* जो भी नया ग्राहक लाता, उसे मोटा कमीशन मिलता।

* यह सिस्टम इतना मजबूत बनाया गया कि लोग खुद ही अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को कंपनी में लाने लगे।

* नतीजा यह हुआ कि देखते-देखते हजारों लोग इस जाल में फंस गए।

 अब आगे क्या?

* दिल्ली क्राइम ब्रांच ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

* हाईकोर्ट के आदेश के बाद देशभर से पीड़ित सामने आ रहे हैं।

*  पुलिस पर भी सवाल उठ रहे हैं कि कैसे एक शातिर ठग शहर से संचालित होकर करोड़ों का खेल खेल गया और किसी को भनक तक नहीं लगी।

दिनेश कुमार जैन ने भीलवाड़ा से काम  शुरू किया और पूरे देश को ठगा। मजदूर को डायरेक्टर बनाना, धर्म के नाम पर एनजीओ चलाना और फॉरेक्स ट्रेडिंग में मुनाफे का लालच देकर करोड़ों हड़पना—यह कहानी सिर्फ धोखाधड़ी की नहीं बल्कि भरोसे के साथ खिलवाड़ की भी है।

आज सैकड़ों परिवार तबाह हैं और आरोपी विदेश भागने की फिराक में। सवाल यही है कि क्या प्रशासन समय रहते कार्रवाई कर पाएगा या फिर यह भीलवाड़ा का सबसे बड़ा **“अनसुलझा वित्तीय घोटाला”** बनकर रह जाएगा?


 

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