नेपाल में फिर बवाल, राष्ट्रपति के निजी आवास पर प्रदर्शनकारियों का कब्जा; Gen-Z प्रदर्शनकारियों के आगे झुकी सरकार, पीएम केपी शर्मा ओली ने दिया इस्तीफा

Update: 2025-09-09 08:50 GMT


 नई दिल्ली।  नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन अब उग्र जनांदोलन का रूप ले चुका है। युवाओं के नेतृत्व में खड़े हुए इस आंदोलन के चलते सरकार संकट में घिर गई है। दूसरे दिन भी विरोध प्रदर्शन जारी रहा और दबाव में आकर नेपाल के तीन मंत्रियों ने इस्तीफे की पेशकश कर दी।   पहले नेपाल के गृह मंत्री, कृषि मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने इस्तीफा दिया और अब नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है।



 


आज शाम 6 बजे केपी शर्मा ओली की तरफ से सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी। ओली की तरफ से जारी लेटर में लिखा था, 'मैं स्थिति का आकलन करने और एक सार्थक निष्कर्ष निकालने के लिए संबंधित पक्षों के साथ बातचीत कर रहा हूं। इसके लिए मैंने आज शाम 6 बजे एक सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है। मैं सभी भाइयों और बहनों से विनम्र निवेदन करता हूँ कि इस कठिन परिस्थिति में धैर्य बनाए रखें।' लेकिन बैठक से पहले ही ओली ने इस्तीफे की घोषणा कर दी।

ओली ने सभी दलों से अपील करते हुए कहा है, *“मैं स्थिति का आकलन करने और सार्थक निष्कर्ष निकालने के लिए संबंधित पक्षों के साथ बातचीत कर रहा हूं। इस कठिन परिस्थिति में मैं सभी भाइयों और बहनों से धैर्य बनाए रखने का विनम्र निवेदन करता हूं।”*

  राष्ट्रपति आवास तक पहुंचे प्रदर्शनकारी

सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध से भड़के युवाओं ने राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में जोरदार प्रदर्शन किया। मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के निजी आवास पर कब्जा कर लिया। वहीं, सूचना मंत्री के आवास को आग के हवाले कर दिया गया। इस बीच, संसद परिसर में भी प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा बलों से झड़प हुई। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने पानी की बौछारें, आंसू गैस और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया।




 

  सोशल मीडिया दोबारा शुरू, लेकिन गुस्सा बरकरार

तेजी से बिगड़ते हालात को देखते हुए नेपाल के संचार, सूचना एवं प्रसारण मंत्री **पृथ्वी सुब्बा गुरुंग** ने घोषणा की कि सरकार ने सोशल मीडिया साइटों को फिर से शुरू करने का आदेश दे दिया है। हालांकि, इससे प्रदर्शनकारियों का गुस्सा शांत नहीं हुआ है। उनका कहना है कि आंदोलन अब सिर्फ सोशल मीडिया बैन के खिलाफ नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और शासन की नाकामियों के खिलाफ है।

  भारत ने भी बढ़ाई सतर्कता

नेपाल में उग्र होते आंदोलन का असर भारत की सुरक्षा एजेंसियों पर भी पड़ा है। भारत-नेपाल सीमा पर निगरानी बढ़ा दी गई है और कई जगह सुरक्षा बलों की तैनाती मजबूत की गई है। नेपाल के कई शहरों में कर्फ्यू लागू है, लेकिन सेना की तैनाती के बाद भी हालात पूरी तरह नियंत्रण में नहीं आ पाए हैं।

  संकट में ओली सरकार

विशेषज्ञों का कहना है कि नेपाल में यह आंदोलन नई पीढ़ी के असंतोष की सीधी अभिव्यक्ति है। सोशल मीडिया बैन इसका कारण जरूर बना, लेकिन असली वजह लंबे समय से चल रहे भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता है। तीन मंत्रियों के इस्तीफे और राष्ट्रपति आवास तक पहुंच चुकी भीड़ ने प्रधानमंत्री ओली की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।


 

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