अब कैसे मनेगी दिवाली?,“साफ हवा सिर्फ दिल्लीवालों का हक नहीं” — पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, देशभर में बैन की उठी बात

Update: 2025-09-12 12:41 GMT


© पटाखा कारोबारियों में चिंता की लहर,

© लाखों की रोज़ी-रोटी पर  गाज

नई दिल्ली।सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर सिर्फ दिल्ली-एनसीआर में लागू प्रतिबंध को लेकर शुक्रवार को बड़ा और तीखा बयान दिया। मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बी. आर. गवई ने दो टूक कहा कि यदि पटाखों पर प्रतिबंध लगाना है, तो यह पूरे देश में एक समान रूप से लागू होना चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि साफ और प्रदूषणमुक्त हवा का अधिकार केवल दिल्ली के 'एलीट' नागरिकों तक सीमित नहीं हो सकता।

"अगर अमृतसर में प्रदूषण दिल्ली से भी ज्यादा है, तो वहां के लोगों को साफ हवा का हक क्यों नहीं?" — ये सवाल उठाते हुए कोर्ट ने केंद्र और संबंधित एजेंसियों को नीतियों में समानता बरतने का संदेश दिया। कोर्ट की यह टिप्पणी उस याचिका की सुनवाई के दौरान आई जिसमें फायरक्रेकर मैन्युफैक्चरर्स ने दिल्ली-एनसीआर में लगाए गए बैन को चुनौती दी थी।

CJI गवई ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय राजधानी के लिए अलग नीति बनाना न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने कहा, "हम सिर्फ दिल्ली के लिए नीति नहीं बना सकते, क्योंकि वहां विशेष वर्ग के लोग रहते हैं। नीति हो तो पूरे देश के लिए हो, ताकि हर नागरिक को समान अधिकार मिले।"

कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ीं

सुप्रीम कोर्ट के इस रुख से पटाखा उद्योग से जुड़े लाखों व्यापारियों और मैन्युफैक्चरर्स की चिंता और बढ़ गई है। पटाखा कारोबारी लंबे समय से यह मांग कर रहे हैं कि या तो प्रतिबंध पूरी तरह हटा लिया जाए या फिर पूरे देश में एकसमान लागू किया जाए, जिससे असमानता की स्थिति खत्म हो।CAQM से माँगा जवाब

यह बयान तब आया जब पटाखा व्यापारियों ने दिल्ली-एनसीआर में दिसंबर 2024 से लागू बैन को चुनौती दी। व्यापारियों का तर्क था कि इससे हजारों परिवारों की आजीविका प्रभावित हो रही है। हालांकि, CJI ने स्पष्ट किया कि बैन से गरीब मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं, लेकिन प्रदूषण की समस्या राष्ट्रीय स्तर पर हल करनी होगी। कोर्ट ने एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन (CAQM) से इस पर जवाब मांगा है।

वकील की बात पर CJI की सहमति

वकील अपराजिता सिंह, जो एमिकस क्यूरी के तौर पर पेश हुईं, ने कहा कि प्रदूषण के समय एलीट लोग शहर छोड़ देते हैं, लेकिन आम जनता को नुकसान सहना पड़ता है। CJI ने सहमति जताते हुए कहा कि नीतियां सिर्फ राजधानी तक सीमित नहीं हो सकतीं।

अगली तारीख पर हो सकता है फैसला?

यह मामला दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण से जुड़ा है, जहां सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी पटाखों पर सख्ती बरतने के आदेश दिए हैं। अगर कोर्ट का यह रुख लागू होता है, तो पूरे देश में पटाखों पर प्रतिबंध लग सकता है, जो दिवाली और अन्य त्योहारों को प्रभावित करेगा। सुनवाई जारी है, और अगली तारीख पर और स्पष्टता आ सकती है।

तमिलनाडु के शिवकाशी, जो देश का सबसे बड़ा पटाखा उत्पादन केंद्र है, वहां के व्यापारी संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि देशव्यापी बैन लगाया गया, तो लाखों लोगों की आजीविका खतरे में पड़ जाएगी। पहले ही दिल्ली और कुछ अन्य राज्यों में प्रतिबंध के चलते बिक्री में भारी गिरावट आई है।

पटाखा विक्रेता संघ के प्रवक्ता राजेश जैन ने कहा, “हर साल दिवाली से महीनों पहले हम माल तैयार करते हैं। अगर बैन की स्थिति साफ नहीं रही तो ना तो उत्पादन की योजना बनती है, ना बिक्री की। हमारे पास पहले से ही करोड़ों का माल पड़ा है, और अब ये बयान और अनिश्चितता फैला रहे हैं।”

सरकार से स्पष्ट नीति की मांग

विक्रेताओं और मैन्युफैक्चरर्स की मांग है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर एक स्पष्ट, पारदर्शी और स्थायी नीति बनाए, जिससे हर साल न्यायालय की टिप्पणियों या राज्यों के अलग-अलग आदेशों से पैदा होने वाली असमंजस की स्थिति खत्म हो।

सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी के बाद अब निगाहें केंद्र सरकार पर हैं कि वह इस दिशा में क्या कदम उठाती है। क्या दिवाली से पहले देशभर में एक समान नीति लागू होगी? या फिर एक बार फिर व्यापारियों और आम जनता के बीच भ्रम की स्थिति बनी रहेगी?

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