लोन सस्ते होंगे, RBI ने ब्याज दर 0.25% घटाई

Update: 2025-12-05 07:42 GMT

नई द‍िल्‍ली। आने वाले दिनों में लोन सस्ते हो जाएंगे। मौजूदा EMI भी घट जाएगी। RBI ने रेपो रेट को 0.25% घटाकर 5.25% कर दिया है। इस कटौती का फैसला मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी की 3 से 5 दिसंबर तक चली मीटिंग में लिया गया। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 5 दिसंबर को इसकी जानकारी दी।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI जिस रेट पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है और वो इस फायदे को ग्राहकों तक पहुंचाते हैं। यानी, आने वाले दिनों में होम और ऑटो जैसे लोन 0.25% तक सस्ते हो जाएंगे।

रेपो रेट के घटने से हाउसिंग डिमांड बढ़ेगी

रेपो रेट घटने के बाद बैंक भी हाउसिंग और ऑटो जैसे लोन्स पर ब्याज दरें कम करते हैं। ब्याज दरें कम होने पर हाउसिंग डिमांड बढ़ेगी। ज्यादा लोग रियल एस्टेट में निवेश कर सकेंगे। इससे रियल एस्टेट सेक्टर को बूस्ट मिलेगा।

RBI ने महंगाई अनुमान घटाया, GDP अनुमान बरकरार रखा

ताजा कटौती के बाद 20 साल के ₹20 लाख के लोन पर ईएमआई 310 रुपए तक घट जाएगी। इसी तरह ₹30 लाख के लोन पर ईएमआई 465 रुपए तक घट जाएगी। नए और मौजूदा ग्राहकों दोनों को इसका फायदा मिलेगा।

इस साल 4 बार घटी रेपो रेट, 1.25% की कटौती हुई

RBI ने फरवरी में हुई मीटिंग में ब्याज दरों को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया था। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की ओर से ये कटौती करीब 5 साल बाद की गई थी।

दूसरी बार अप्रैल में हुई मीटिंग में भी ब्याज दर 0.25% घटाई गई। जून में तीसरी बार दरों में 0.50% कटौती हुई। अब एक बार फिर इसमें 0.25% की कटौती की गई है। यानी, मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने तीन बार में ब्याज दरें 1.25% घटाई।

रेपो रेट क्या है, इससे लोन कैसे सस्ता होता है?

RBI जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने से बैंक को कम ब्याज पर लोन मिलेगा। बैंकों को लोन सस्ता मिलता है, तो वो अकसर इसका फायदा ग्राहकों को पास कर देते हैं। यानी, बैंक भी अपनी ब्याज दरें घटा देते हैं।

रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाता और घटाता क्यों है?

किसी भी सेंट्रल बैंक के पास पॉलिसी रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है, तो सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है।

पॉलिसी रेट ज्यादा होगी तो बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है।

इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है।

हर दो महीने में होती है RBI की मीटिंग

मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी में 6 सदस्य होते हैं। इनमें से 3 RBI के होते हैं, जबकि बाकी केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। RBI की मीटिंग हर दो महीने में होती है।

बीते दिनों रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठकों का शेड्यूल जारी किया था। इस वित्तीय वर्ष में कुल 6 बैठकें होंगी। पहली बैठक 7-9 अप्रैल को हुई थी।

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