निकाय चुनाव को लेकर सियासी बहस तेज, खर्रा बोले सरकार तैयार, कांग्रेस ने ठहराया जिम्मेदार
अलवर। राजस्थान में निकाय चुनाव कब होंगे, इसे लेकर सियासत गरमा गई है। नगरीय विकास एवं स्वायत शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने शनिवार को अलवर में साफ कहा कि सरकार पूरी तरह चुनाव कराने को तैयार है और अब बारी निर्वाचन आयोग की है। वहीं कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह जानबूझकर प्रक्रिया को खींच रही है ताकि समय मिल सके।
खर्रा ने कहा कि चुनावों में देरी का आरोप बेबुनियाद है। निर्वाचन आयुक्त पहले ही बता चुके हैं कि मतदाता सूची का अद्यतन कार्य नवम्बर या दिसम्बर की शुरुआत तक पूरा हो जाएगा। इसके अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट देने के लिए तीन महीने का समय मांगा है, जो दिसम्बर के पहले सप्ताह तक आ जाएगी। उसके बाद आयोग चुनाव कार्यक्रम घोषित कर सकता है।
मंत्री ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि विपक्ष जनता को गुमराह करने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को जनता का मूड पता है और इसी वजह से वह चुनाव से बचने के लिए नए-नए बहाने बना रही है। खर्रा ने दावा किया कि भाजपा लोकतंत्र में विश्वास करती है और निकाय चुनाव पूरी पारदर्शिता से होंगे।
दूसरी ओर कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भाजपा सरकार को जनता का सामना करने का साहस नहीं है। इसलिए चुनाव प्रक्रिया को टालने के लिए तरह-तरह के बहाने बनाए जा रहे हैं। कांग्रेस ने सवाल उठाया कि अगर सरकार सचमुच तैयार है तो अब तक स्पष्ट रोडमैप क्यों सामने नहीं आया।
निकाय चुनावों को लेकर दोनों दलों के बीच यह आरोप-प्रत्यारोप अब जनता के बीच भी चर्चा का विषय बन गए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि स्थानीय निकाय चुनाव हमेशा से सत्ता का भविष्य तय करने वाले साबित होते हैं। यही कारण है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों इस मुद्दे पर बैकफुट पर आने को तैयार नहीं हैं।
झाबर सिंह खर्रा के बयान से भाजपा ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि सरकार पर आरोप लगाने से कांग्रेस को कोई राजनीतिक फायदा नहीं मिलेगा। वहीं कांग्रेस इस बयान को सरकार की मजबूरी बता रही है। अब निगाहें निर्वाचन आयोग पर हैं कि वह चुनावी बिगुल कब बजाता है।
