मृत्यु भोज जैसी कुप्रथा को नहीं करने का निर्णय करके समाज के समक्ष मिशाल पेश की

By :  vijay
Update: 2024-07-19 11:56 GMT

भीलवाड़ा -स्व.  अम्बा लाल  सुवालका (गौत्र- आंछेरा) की धर्मपत्नि, कुंदन मल, पूर्व सैनिक ईश्वर लाल की माता जी और डॉ हेमंत, सुशील, मनोज, हरिशंकर की दादी माँ व रक्षित की पड़दादी माँ  प्यारी देवी सुवालका (सातोला वालो) का देवलोकगमन दिनाँक 08/07/2024 सोमवार को हो गया था।

सुशील सुवालका ने बताया कि सभी परिवार जनों ने मिलकर मृत्युभोज नहीं करने का निर्णय किया है। इसके लिए परिवार जनों ने पहले ही समाज के समक्ष निर्णय लिया था कि हमारे परिवार में किसी की भी मृत्यु हुई तो समाज में सर्वप्रथम हमारे घर से मृत्युभोज बन्द करेंगे और उसी निर्णय पर अडिग रहते हुए परिवार जनों ने मृत्युभोज नहीं करने का निर्णय लिया। समाज में जब भी मृत्युभोज बंद करने की बात उठती है तो कोई भी पहले अपने घर से बंद करने से घबराता है क्योंकि हर व्यक्ति यही सोचता है कि यदि मेरे घर से ये कुप्रथा बंद की तो समाज के लोग उलाहना देंगे लेकिन श्री कुंदनमल जी और ईश्वर लाल जी सुवालका ने बिना इस बात की परवाह किये अपनी माताजी का मृत्युभोज नहीं करने का निर्णय लेकर समाज के समक्ष इन बहुत बड़ी मिशाल पेश की है। आगे भी अब लोग इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिए अवश्य आगे आएंगे। वर्तमान में हमारे समाज में बहुत सारी कुरीतियां व्याप्त है और उन्हें समाप्त करने के लिए सभी समाज जनों को आगे आना होगा तभी इन कुरीतियों को समाप्त किया जा सकेगा। समाज में मृत्युभोज नहीं करने की यह पहल स्वागत योग्य और अनुकरणीय है। ज्ञातव्य है कि राजस्थान सरकार द्वारा भी इस कुरीति पर पाबंदी लगा रखी है ।

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