भव सुधारना है तो अपने भावों को सुधारिये- सुन्दर सागर महाराज

Update: 2024-07-26 13:13 GMT
भव सुधारना है तो अपने भावों को सुधारिये- सुन्दर सागर महाराज
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भीलवाड़ा। हाउसिंग बोर्ड में स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में धर्मसभा में आचार्य सुन्दर महाराज ने सुन्दर देशना के तहत उद्बोधन में बताया कि अगर अगला भव सुधारना है तो अपने भावों को सुधारिये। भावों की दशा निर्मलता, सहजता, मंद कशाय, धर्म मे लीनता आपके गुण स्थान को उपर उठायेगी और एक दिन आपको गुण स्थानान्तरित कर भगवान प्राप्ति की ओर उन्मुख करेगी।

चतुर्मास के चार माह दिगंबर संतो का सानिध्य मिला है जो आपके कर्म निर्ज़रा का निमित्त बना सकता है। अपने भावों को ऊँचा उठाकर, पुण्य का संचय करने का, अशुभ से बचने का अवसर मिला है। अगर सुखी और शांत जीवन जीना है तो संयम धारण करना होगा। संयम धारण का अर्थ है आत्मा का निर्मल होना। ये जीवन आत्मा को परमात्मा बनाने के लिए मिला है, अगर हमारी दिशा सही होगी तो दशा भी सही होगी। जीवन वितराग धर्म का लक्ष्य लेकर चले, अपना मोक्ष मार्ग की ओर बढ़कर जीवन को प्रशस्त करे। मन, वचन और काया की अशुभ प्रवृति से अशुभ कर्म का बंध होता है, निज में भगवान के दर्शन कर लेता है, वह एक दिन भगवान बन जाता है।

इससे पूर्व आर्यिका सुलक्ष्यमति ने अपने प्रवचन मे कहा कि मनुष्य इच्छाओं का गुलाम है, वो कभी पूरी नही होती। एक इच्छा पूरी होते ही अनंत दुसरी इच्छाएँ मनुष्य के मन मे जागृत हो जाती है, इसीलिए वो दुःखी है। अपनी सांसारीक इच्छाओं को नियंत्रण कीजिये, उनका निरोध तप है, तप से कर्माे की निर्ज़रा होगी जो अंत मे मोक्ष तक ले जायेगी और संसार के दुःखो से हमेशा हमेशा के लिए मुक्ति दिलायेगी।

धर्मसभा का संचालन पद्म चन्द काला ने किया। समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि धर्मसभा के प्रारंभ में पाद प्रक्षालन, शास्त्र भेंट किया। दीप प्रज्ज्वलन राकेश पाटनी, सुरेन्द्र काला, प्रदीप कासलीवाल, गुलाबचन्द शाह, अरविन्द अजमेरा, संदीप बाकलीवाल आदि ने व मंगलाचरण दीदीओं ने किया। सांयकाल शंका समाधान, महाआरती, धर्म कक्षाऐं आदि आयोजित हुई।

मीडिया प्रभारी भागचन्द पाटनी ने बताया कि वर्षायोग के नियमित कार्यक्रम श्रृंखला में प्रातः 6.30 बजे भगवान का अभिषेक शांतिधारा, प्रातः 8.15 बजे नियमित प्रवचन, 10 बजे आहार चर्या, दोपहर 3 बजे शास्त्र स्वाध्याय चर्चा, सांय 6.30 बजे शंका समाधान इसके पश्चात् गुरू भक्ति एवं आरती। अन्त में वैय्यावृति के कार्यक्रम होगें।

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