आत्ममंथन’ की ज्योति से आलोकित निरंकारी संत समागम की तैयारियाँ समापन की ओर*
भीलवाड़ा :- सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित जी की पावन छत्रछाया में 78वां वार्षिक निरंकारी संत समागम 31 अक्टूबर से 3 नवम्बर, 2025 तक होगा।
भीलवाड़ा जोनल इंचार्ज बृजराज सिंह के अनुसार इस समागम में जोन 21 ए भीलवाड़ा से मांडलगढ़, शाहपुरा, जहाजपुर, कोटडी, गुलाबपुरा, आसींद, गंगापुर, रायपुर, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, पुंजपुर, उदयपुर जिले से भी करीब 25 डीलक्स बसों, 100 पर्सनल छोटी गाड़ियों, ट्रेन एवं प्राइवेट बसों के माध्यम से हजारों श्रद्धालु भक्त पहुंच रहे है, भीलवाड़ा के निरंकारी भक्तों में इस समागम में जाने हेतु खासा उत्साह है।
संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा (हरियाणा) में होने वाले इस समागम में अद्भुत दिव्यता और भव्यता देखने को मिलेगी। आत्मीयता के इस उत्सव में देश-विदेश से असंख्य श्रद्धालु भाग लेकर आनंद का अनुभव प्राप्त करेंगे। श्रद्धा, समर्पण के साथ हज़ारों श्रद्धालुजन अपने-अपने क्षेत्रों से आकर पूर्ण तन्मयता और समर्पण भाव के साथ दिन रात सेवाओं में रत हैं; जिससे यह आयोजन अपनी अंतिम तैयारियों की ओर अग्रसर है।
भीलवाड़ा मीडिया सहायक लादू लाल ने बताया कि आज रविवार को आरजिया चौराहा स्थित निरंकारी भवन पर सेवादल की भाई - बहन एवं बैंड की टीम ने सतगुरु से आशीर्वाद प्राप्त कर 28 अक्टूबर मंगलवार को अपनी सेवा देने के लिए समालखा का हरियाणा के लिए क्षेत्रीय संचालक संत हरीचरण, शिक्षक रमेश कुमार मेहरा के सानिध्य में प्रस्थान करेंगे
एवं संगत के श्रद्धालु 30 अक्टूबर को अपने सद्गुरु के आशीर्वचन प्राप्त करने के लिए समालखा का जाएंगे
यह समागम केवल एक धार्मिक या वार्षिक आयोजन नहीं, अपितु ज्ञान, प्रेम और भक्ति का ऐसा पावन संगम है, जो ब्रह्मज्ञान द्वारा आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का सशक्त माध्यम बनता है। यहाँ श्रद्धालु न केवल आध्यात्मिक जागृति पाते हैं, बल्कि मानवता, विश्वबंधुत्व और आपसी सौहार्द की भावनाओं को भी आत्मसात करते हैं। यह आयोजन *‘आत्ममंथन’* की वह दिव्य भूमि है, जहाँ प्रत्येक साधक अपने अंतर्मन में झाँकने, आत्मचिंतन करने और आत्मिक चेतना को जागृत करने की प्रेरणा प्राप्त करता है।
यह सम्पूर्ण आयोजन सतगुरु माता की दिव्य प्रेरणा और आशीर्वाद से संचालित हो रहा है। सतगुरु की यही मंगलकामना रहती है कि हर श्रद्धालु इस समागम में प्रेम, सम्मान और समुचित सुविधा का अनुभव करते हुए आध्यात्मिक रूप से परिपूर्ण हो।
