भीलवाड़ा |राजस्थान का भीलवाड़ा — जहां बजरी अब सिर्फ निर्माण की चीज़ नहीं, बल्कि सत्ता और सिस्टम के टकराव का प्रतीक बन चुकी है।
एक दिन पहले ग्रामीणों ने सड़कों पर उतरकर नारा लगाया था —> "बजरी माफिया विधायक होश में आओ!"और आज उसी आवाज़ की गूंज में डीएसटी टीम ने धरातल पर उतरते हुए कार्रवाई कर दी। अचानक हुई छापेमारी, उजागर हुआ करोड़ों का खनन जाल
शनिवार सुबह मंडलगढ़ क्षेत्र में जिला स्पेशल टीम (DST) ने जब छापेमारी शुरू की, तो धूल के बादल के बीच हजारों टन अवैध बजरी के ढेर नज़र आए।
करीब आधा दर्जन वाहन, एक एलएनटी मशीन और कई ट्रैक्टर-ट्रॉली जब्त की गईं।मामला यहीं तक सीमित नहीं रहा —
टीम के पहुंचने से पहले ही कई वाहन चालक खेतों और पगडंडियों से भाग निकले।
पुलिस पर उठे सवाल, विधायक पर सियासी तीर
स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मांडलगढ़ थाना लंबे समय से इस अवैध कारोबार पर आंख मूंदे बैठा है।
उनका कहना है कि बजरी का काला कारोबार सिर्फ खनन तक सीमित नहीं है — इसके पीछे एक राजनीतिक नेटवर्क भी काम कर रहा है।कुछ ग्रामीणों ने यहां तक कहा कि "अगर डीएसटी टीम नहीं आती, तो यह खनन यूं ही चलता रहता — और शायद कभी किसी को पता भी नहीं चलता।"
इस बीच, क्षेत्रीय विधायक पर बजरी माफियाओं से जुड़े होने के आरोप ने सियासत को गरमा दिया है।
थानाधिकारी की निष्क्रियता और राजनीतिक दबाव का मुद्दा अब जिले में जनचर्चा का केंद्र बन गया है।
प्रशासन की सख्ती: “अब बचेगा कोई नहीं”
जिला प्रशासन ने पूरे घटनाक्रम को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा —
> “अवैध बजरी खनन में जो भी शामिल है, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो — कार्रवाई निश्चित है।”
साथ ही बताया गया कि अब से हर थाना क्षेत्र में बजरी मॉनिटरिंग टीम बनाई जाएगी, जो रियल टाइम रिपोर्ट देगी।
ग्रामीणों की मांग – ‘हमारे खेत बचाओ’
मांडलगढ़ और आस-पास के गाँवों के किसानों का कहना है कि अवैध खनन से उनकी जमीनों की उपजाऊ परत खत्म हो रही है।
एक किसान रामा ने कहा —
> “जब ट्रॉली गुजरती है तो घर हिल जाते हैं, पर पुलिस को आवाज़ नहीं सुनाई देती।”
ग्रामीणों ने मांग की है कि जब तक बजरी माफियाओं पर मुकदमे दर्ज नहीं होते, वे आंदोलन जारी रखेंगे।
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🧱 पृष्ठभूमि
भीलवाड़ा जिले में वर्षों से बजरी खनन विवादों का केंद्र बना हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बाद भी कई क्षेत्रों में रात के अंधेरे में खनन का खेल जारी है।
अब यह मामला सिर्फ खनन का नहीं, बल्कि जनता बनाम सत्ता के संघर्ष का रूप ले चुका है।
