गुरलां के नाम पर रोडवेज की सबसे बड़ी ‘धांधली’: जमीन पर खिलवाड़! —न स्टॉपेज, न टिकट, जनता बेहाल,10 साल से कागज़ों में बस स्टैंड

Update: 2025-11-17 04:20 GMT


गुरलां (बद्री लाल माली)। राजस्थान रोडवेज की लापरवाही, प्रशासनिक उदासीनता और सिस्टम की मनमानी ने गुरलां के लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी को नरक बना दिया है। दस साल पहले बस स्टैंड घोषित हुआ, आदेश जारी हुए, रूट फीड हुए, स्टॉपेज तय किए गए—पर आज भी सरकारी बसें गुरलां को मानती ही नहीं।

ईटीआईएम मशीन और टिकट विंडो के कंप्यूटर में आज तक गुरलां का नाम तक दर्ज नहीं, जबकि दस्तावेजों में बस स्टैंड पहले ही मंजूर है।

दस साल पुराना आदेश, लेकिन आज भी बसें नहीं रुकतीं

राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (RSRTC) जयपुर मुख्यालय ने एक दशक पहले कोटा, बारां, बूंदी, जयपुर, उदयपुर, अलवर, प्रतापगढ़, अजमेर, फालना, जोधपुर, पाली, राजसमंद समेत कई आगारों की साधारण एवं एक्सप्रेस बसों को गुरलां में रुकने का आदेश दिया था।

साथ ही निर्देश दिया गया था कि—

गुरलां से टिकट जारी हों,

स्टॉपेज फीड किया जाए,

हर चालक–परिचालक बस रोकने के पाबंद हों।

कुछ दिनों तक बसें रुकीं, लेकिन बाद में सिस्टम ने आंखें मूंद लीं और आज स्थिति यह है कि एक भी एक्सप्रेस बस यहां रुकने को तैयार नहीं।

यात्री हाथ हिलाते रह जाते हैं, बसें सरपट निकल जाती हैं

भीलवाड़ा–उदयपुर, नाथद्वारा, कोटा, बारां, जयपुर, अलवर, प्रतापगढ़, जोधपुर, पाली, चित्तौड़गढ़ के रूट की अधिकांश बसें गुरलां से गुजरती तो हैं, लेकिन रुकना इन्हें मंजूर नहीं।

यात्री हाथ देते रह जाते हैं और बसें ऐसे निकल जाती हैं जैसे यहां कोई स्टॉपेज है ही नहीं।

हद तो तब होती है जब—

भीलवाड़ा आगार से कुछ बसें गुरलां उतरने वाले का टिकट काट भी देती हैं,

पर दूसरे परिचालक कहते हैं—“मशीन में गुरलां फीड ही नहीं है।”

कुछ परिचालक साफ कहते हैं—

“यहां एक्सप्रेस का स्टॉपेज नहीं। टिकट नहीं काटेंगे।”

कटु सच्चाई — कंप्यूटर और ETIM मशीन से ‘गुरलां’ गायब

गुरलां बस स्टैंड—जो कागजों में मौजूद है—आज भी

ETIM मशीनों में नहीं,

विंडो कंप्यूटर में नहीं,

कई आगारों के सिस्टम में दर्ज नहीं।

राजसमंद, अजमेर, कोटा, बारां की बसों में तो गुरलां नाम ही गायब है।

अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया।

लोगों का दर्द — रोजीरोटी पर असर, महिलाओं की यात्रा मुश्किल

गुरलां, गाडरमाला, सांगवा, कारोई, मंडपिया, रणकपुर, कपासन, राशमी सहित लगभग एक दर्जन गांवों के लोग इसी स्टॉपेज पर निर्भर हैं।

भीलवाड़ा, गंगापुर और रायपुर में काम करने वाले सैकड़ों लोगों को रोजाना 10–15 किलोमीटर दूर जाकर बस पकड़नी पड़ती है।

रात्रिकालीन सेवाएं नहीं रुकने से महिलाओं और विद्यार्थियों को भी भारी परेशानी हो रही है।

ग्रामीणों की खुली मांग — बस स्टैंड लागू करो, बसें रोको

गुरलां के ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा है कि—

हाईवे 758 पर स्थित गुरलां को तत्काल प्रभाव से वास्तविक स्टैंड घोषित किया जाए,

बसें रोकने के लिए चालक–परिचालक को कड़ाई से पाबंद किया जाए,

टिकट सिस्टम में गुरलां का नाम फीड किया जाए,

और इस रूट पर नई बसें चलाई जाएं।

प्रस्तावित बस सेवाओं की मांग:

भीलवाड़ा–सांवरिया सेठ वाया गुरलां

भीलवाड़ा–रायपुर वाया गुरलां

चित्तौड़गढ़–रायपुर वाया गुरलां

 

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